
सेना, बिहार पुलिस और दारोगा बनने का सपना संजोए बिहार के हज़ारों युवाओं को पटना जिला प्रशासन ने एक बड़ा और अप्रत्याशित झटका दिया है। ऐतिहासिक गांधी मैदान में अब प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए होने वाली फिजिकल ट्रेनिंग (दौड़, ऊंची कूद, लंबी कूद) पर तत्काल प्रभाव से पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्रमंडलीय आयुक्त द्वारा जारी इस फरमान ने उन गरीब और मध्यम वर्गीय छात्रों को बेसहारा कर दिया है, जो बिना किसी शुल्क के इसी मैदान में पसीना बहाकर अपने भविष्य को संवारने की तैयारी कर रहे थे।
घास बचाने के लिए युवाओं के करियर की ‘बलि’?
प्रशासन ने इस प्रतिबंध के पीछे तर्क दिया है कि फिजिकल ट्रेनिंग और अभ्यास से गांधी मैदान की हरी-भरी घास नष्ट हो रही है और जगह-जगह गड्ढे हो रहे हैं। प्रशासन का कहना है कि इससे मॉर्निंग वॉकर्स और अन्य आम नागरिकों को मैदान में टहलने में परेशानी होती है, इसलिए मैदान की सुंदरता और व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कदम उठाना आवश्यक है।
हालांकि, छात्रों और स्थानीय लोगों का यह सवाल है कि क्या चंद मॉर्निंग वॉकर्स की सुविधा के लिए उन हजारों मेहनती युवाओं के भविष्य और करियर को दांव पर लगाना उचित है, जो कड़ी मेहनत से सरकारी नौकरी पाने का सपना देख रहे हैं? गांधी मैदान को बिहार में ‘सिपाही और दारोगा की फैक्ट्री’ कहा जाता है, जहां सुबह-शाम युवाओं का जमावड़ा लगता है।
छात्रों का दर्द: “अब अभ्यास के लिए कहां जाएं?”
इस अचानक लिए गए फैसले से आगामी सिपाही, दारोगा और सेना बहाली की तैयारी कर रहे छात्रों में मायूसी और गुस्सा है। अभ्यर्थियों का कहना है कि पटना में पहले से ही खेल के मैदानों की भारी कमी है। गांधी मैदान ही एकमात्र ऐसा बड़ा और खुला स्थान था, जहां हजारों छात्र एक साथ बिना किसी शुल्क के अभ्यास कर सकते थे।
एक अभ्यर्थी ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा, “सरकार रोज़गार तो कम दे ही रही है, अब तैयारी के लिए ज़रूरी संसाधन भी छीन रही है। हम गरीब और मध्यम वर्ग के छात्र हैं; हमारे पास महंगे जिम या निजी ग्राउंड में जाने के पैसे नहीं हैं। प्रशासन ने रोक तो लगा दी, लेकिन यह नहीं बताया कि अब हम अपनी शारीरिक दक्षता परीक्षा (PET) की तैयारी कहाँ करें?”
कोचिंग संस्थान और ट्रेनर्स पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी
प्रमंडलीय आयुक्त ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि लगभग 10 से 15 कोचिंग संस्थान और शारीरिक प्रशिक्षक यहाँ अभ्यास कराते हैं। अब अगर कोई भी ट्रेनर (Instructor) या कोचिंग संचालक यहाँ ट्रेनिंग देते हुए पकड़ा गया, तो उस पर वैधानिक कार्रवाई (Legal Action) की जाएगी। प्रशासन ने श्री कृष्ण स्मारक विकास समिति को सख्ती से इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने को कहा है।
इस ‘तुगलकी फरमान’ ने पटना में एक बड़ा प्रशासनिक विवाद खड़ा कर दिया है, जहां घास और सुंदरता को बचाने के नाम पर हज़ारों छात्रों के भविष्य को संकट में डाल दिया गया है