दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन: ‘वोट चोरी’ के खिलाफ राहुल-खरगे का हल्लाबोल; राष्ट्रपति को सौंपेंगे 5.5 करोड़ हस्ताक्षर
दिल्ली, रामलीला मैदान

भारतीय राजनीति के केंद्र दिल्ली का ऐतिहासिक रामलीला मैदान आज एक बार फिर बड़े आंदोलन का गवाह बना। चुनावी प्रक्रिया में कथित धांधली और ‘वोट चोरी’ के गंभीर आरोपों को लेकर कांग्रेस ने रविवार, 14 दिसंबर 2025 को केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इस महारैली के माध्यम से कांग्रेस ने देश की चुनाव प्रणाली और निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए बड़े बदलाव की मांग की है।
दिग्गजों का जुटान और सरकार को चुनौती
रैली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मुख्य वक्ता के रूप में शिरकत की। उनके साथ मंच पर प्रियंका गांधी वाद्रा, केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश और सचिन पायलट समेत देशभर के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मौजूद रहे। राहुल गांधी ने अपने संबोधन में केंद्र सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि लोकतंत्र की बुनियाद ‘वोट’ है और अगर उस पर ही डकैती डाली जाएगी, तो देश का भविष्य खतरे में है। उन्होंने गृह मंत्री को इस मुद्दे पर खुली बहस की चुनौती को फिर दोहराया।
5.5 करोड़ हस्ताक्षर और राष्ट्रपति को ज्ञापन
कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने जानकारी दी कि पार्टी ने ‘वोट चोरी’ के खिलाफ देशभर में एक व्यापक जन-अभियान चलाया था। इस अभियान के तहत करीब 5.5 करोड़ लोगों के हस्ताक्षर जुटाए गए हैं। रैली के समापन के बाद कांग्रेस का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मुलाकात का समय मांगेगा और उन्हें ये हस्ताक्षर सौंपकर चुनावी सुधारों की मांग करेगा।
आंदोलन की मुख्य वजह: SIR और चुनावी खामियां
यह रैली संसद में हुए हालिया विवादों के बाद आयोजित की गई है। हाल ही में लोकसभा में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई थी। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकार और चुनाव आयोग की मिलीभगत से मतदाता सूची से नाम हटाए जा रहे हैं और चुनावी मशीनरी का दुरुपयोग किया जा रहा है।
लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प
मल्लिकार्जुन खरगे ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह केवल कांग्रेस की लड़ाई नहीं है, बल्कि देश के हर नागरिक के वोट के अधिकार की रक्षा का आंदोलन है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार पारदर्शिता से डरती है, इसलिए वह विपक्ष के सवालों का जवाब देने के बजाय जांच एजेंसियों का सहारा लेती है। इस महारैली ने न केवल दिल्ली के राजनीतिक तापमान को बढ़ा दिया है, बल्कि आगामी चुनावों के लिए भी एक बड़ा मुद्दा सेट कर दिया है।
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