
13 दिसंबर 2001 भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का वह काला दिन जिसे देश कभी नहीं भूल सकता। आज इस आतंकी हमले की 24वीं बरसी है। इस अवसर पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, और सोनिया गांधी समेत तमाम दिग्गज नेताओं ने उन वीर सपूतों को याद किया जिन्होंने अपनी जान देकर संसद की रक्षा की थी।
संविधान सदन में गूँजा शहीदों का सम्मान
शुक्रवार की सुबह पुरानी संसद भवन (अब संविधान सदन) के प्रांगण में एक गरिमामय श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन द्वारा पुष्पचक्र अर्पित करने से हुई। इसके तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहीदों की तस्वीरों पर पुष्प अर्पित कर उनके शौर्य को नमन किया।
एक दुर्लभ और महत्वपूर्ण दृश्य तब दिखा जब प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी एक साथ शहीदों को नमन करते नजर आए। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी बलिदानियों के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस दौरान केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, जितेंद्र सिंह और अर्जुन राम मेघवाल सहित सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
बदली परंपरा: CISF ने दिया ‘सम्मान गार्ड’
इस वर्ष की श्रद्धांजलि सभा में एक बदलाव भी देखने को मिला। अब तक संसद की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली CRPF के जवान ‘सलामी शस्त्र’ दिया करते थे, लेकिन अब सुरक्षा की कमान CISF के हाथों में होने के कारण, उनके जवानों ने शहीदों को ‘सम्मान गार्ड’ दिया। शहीदों के सम्मान में कुछ मिनट का मौन रखा गया और पूरे वातावरण में देशभक्ति की लहर दौड़ गई। उधर, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने लातूर (महाराष्ट्र) में आयोजित एक कार्यक्रम में शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
2001 का वो खौफनाक मंजर: जब 9 वीरों ने दिया बलिदान
आज से ठीक 24 साल पहले, 13 दिसंबर 2001 को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के पांच हथियारबंद आतंकवादी एक सफेद एम्बेसडर कार में सवार होकर संसद परिसर में घुसे थे। संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था और कई वीवीआईपी अंदर मौजूद थे। आतंकियों के पास भारी मात्रा में विस्फोटक और अत्याधुनिक हथियार थे।
सुरक्षाबलों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए आतंकियों को मुख्य द्वार पर ही रोक दिया और मुठभेड़ में सभी पांचों आतंकियों को ढेर कर दिया। इस जंग में दिल्ली पुलिस के 5 जवान, सीआरपीएफ की एक महिला कांस्टेबल, संसद सुरक्षा के 2 कर्मचारी और एक निजी टीवी चैनल के कैमरामैन शहीद हो गए थे। इन बलिदानियों की बदौलत ही भारत की लोकतांत्रिक संप्रभुता अक्षुण्ण रही। आज पूरा राष्ट्र उन महान आत्माओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर रहा है, जिन्होंने अपना ‘आज’ हमारे ‘कल’ के लिए न्योछावर कर दिया।