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बिहार में नई कोचिंग नीति लागू! सरकारी शिक्षकों के कोचिंग पढ़ाने पर सख्त रोक…

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बिहार में नई कोचिंग नीति लागू! सरकारी शिक्षकों के कोचिंग पढ़ाने पर सख्त रोक…

बिहार में छात्रों के हितों की सुरक्षा और कोचिंग संस्थानों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार नई कोचिंग नीति लागू करने की तैयारी में जुट गई है। शिक्षा विभाग इस संशोधित नीति को माह के अंत तक कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजने की योजना बना रहा है, ताकि इसे शैक्षणिक सत्र 2026-27 से पूरे राज्य में प्रभावी किया जा सके। विधानसभा चुनाव के कारण विलंबित यह नीति न केवल छात्रों के आर्थिक शोषण पर लगाम लगाने बल्कि सरकारी शिक्षकों को उनके मूल दायित्वों पर केंद्रित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

नई संशोधित नियमावली में कई अहम बदलाव किए गए हैं। सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि कोई भी सरकारी शिक्षक अब किसी भी प्रकार के कोचिंग संस्थान में पढ़ाने का अधिकार नहीं रखेगा, और साक्ष्य मिलने पर शिक्षा विभाग सीधे कार्रवाई करेगा। इसके अलावा, सरकारी स्कूलों या किसी भी शिक्षण संस्थान के आसपास कोचिंग सेंटर संचालित करने पर रोक होगी। स्कूल के कार्यकाल के दौरान कोचिंग चलाना भी पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। इन कदमों का उद्देश्य छात्रों को सुरक्षित और संतुलित शैक्षणिक माहौल देना तथा कोचिंग पर अनावश्यक निर्भरता को कम करना है। पारदर्शिता बढ़ाने के लिए नीति में कई नियामक उपाय भी शामिल किए गए हैं। जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली कमेटी कोचिंग संस्थानों के निबंधन को मंजूरी देगी। निबंधन के समय सभी कोर्स की फीस सार्वजनिक करना अनिवार्य होगा, ताकि मनमानी शुल्क-वसूली रोकी जा सके। बिना निबंधन के कोचिंग चलाने पर कड़ी कार्रवाई तय है। वहीं, शिकायत मिलने पर फीस संबंधित अनियमितताओं की जांच की जाएगी और यदि संस्थान अपने दावों के अनुरूप सेवाएं प्रदान नहीं करते, तो उनके निबंधन को रद्द करने की सिफारिश भी की जाएगी।

हालांकि, नई कोचिंग नीति को लेकर सरकार का मानना है कि इसके लागू होने से न केवल शिक्षा व्यवस्था में सुधार आएगा, बल्कि कोचिंग संस्थानों की अनियमितताओं पर भी प्रभावी नियंत्रण स्थापित हो सकेगा। छात्रों को सुरक्षित, पारदर्शी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से तैयार की गई यह नीति राज्य के शिक्षा ढांचे को अधिक व्यवस्थित और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है। उम्मीद की जा रही है कि अगले शैक्षणिक सत्र से इसके लागू होते ही छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों, तीनों को इसका व्यापक लाभ मिलेगा और कोचिंग सेक्टर में एक नई अनुशासनात्मक व्यवस्था स्थापित होगी।

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