
बिहार की राजनीति में इन दिनों कोई चुनावी रणनीति या गठबंधन नहीं, बल्कि एक सरकारी बंगला सबसे ज़्यादा सुर्खियां बटोर रहा है। यह है 10 सर्कुलर रोड वाला वह आवास, जो दशकों से लालू परिवार की राजनीति, रणनीति और सत्ता का केंद्र रहा है। नीतीश सरकार ने अब पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को यह बंगला खाली करने का निर्देश दिया है, जिसके बाद बिहार की सियासी सरज़मीं पर घमासान छिड़ गया है।
सामान्य प्रशासन विभाग ने राबड़ी देवी को उनके वर्तमान पद, विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष, के लिए निर्धारित नया आवास 39 हार्डिंग रोड आवंटित किया है। सरकार का तर्क है कि यह आवास मौजूदा संवैधानिक पद के अनुरूप और पुराने बंगले से काफी बड़ा और आधुनिक है, यानी सरकार राबड़ी देवी के ‘कद’ के अनुसार उन्हें आवास दे रही है।
बंगला बड़ा, पर राजद को आपत्ति क्यों?
सरकारी कागज़ों पर 39 हार्डिंग रोड का आवास 10 सर्कुलर रोड से कहीं अधिक सुविधासंपन्न है। जहाँ पुराना बंगला लगभग 1 एकड़ में है, वहीं नया आवास 3 एकड़ के विशाल परिसर में फैला है। इसमें 6 बड़े बेडरूम, दो मंजिला मुख्य भवन, बड़ा हॉल, कॉन्फ्रेंस रूम, ऑफिस स्पेस और आधुनिक सुरक्षा व्यवस्था है। यह बंगला बिहार विधानसभा के ठीक सामने और मुख्यमंत्री आवास (1 अणे मार्ग) से मात्र 800 मीटर की दूरी पर स्थित है।
इसके बावजूद, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने इस कदम को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। राजद के बिहार अध्यक्ष मंगनीलाल मंडल ने स्पष्ट कहा है कि राबड़ी देवी बंगला खाली नहीं करेंगी। पार्टी इसे “सम्मान नहीं, बल्कि सियासी इशारा” मान रही है और इसे लालू परिवार की राजनीतिक दूरी बढ़ाने की कोशिश के रूप में पेश कर रही है। राजद का आरोप है कि भले ही बंगला कागजों पर बड़ा हो, लेकिन यह असल में लालू परिवार का “राजनीतिक डिमोशन” है, जिसका गहरा भावनात्मक और प्रतीकात्मक महत्व है।
विवाद की असली कहानी: न्यायिक फैसला और तेजस्वी का नियम
इस पूरे विवाद की जड़ में एक न्यायिक आदेश और विडंबना छिपी है। विभाग के मंत्री विजय चौधरी का कहना है कि यह सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया है, जिसके तहत बिहार के पांच संवैधानिक पदों में से चार के आवास पहले से तय हैं और पांचवें के लिए नियम के अनुसार आवंटन किया गया है।
हालांकि, कहानी में ट्विस्ट यह है कि लालू परिवार को 10 सर्कुलर रोड पर रहने की अनुमति देने वाला नियम तेजस्वी यादव के उपमुख्यमंत्री रहने के दौरान ही उनकी सरकार में बनाया गया था। बाद में पटना हाई कोर्ट ने उस नियम को रद्द कर दिया। अब उसी न्यायिक आदेश ने लालू परिवार को बंगला छोड़ने की स्थिति में ला दिया है।
लोकेशन का महत्व और राजनीतिक संकेत
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह केवल ईंट-गारे का विवाद नहीं है, बल्कि राजनीतिक प्रतिष्ठा और संदेश का मुद्दा है। 10 सर्कुलर रोड दशकों से लालू-राबड़ी की राजनीति का केंद्र रहा है। यह आवास मुख्यमंत्री आवास से बहुत नज़दीक था। अब भले ही दूरी महज़ 500 मीटर बढ़ी हो, लेकिन यह फेरबदल बिहार की राजनीति में सत्ता परिवर्तन के बाद लालू परिवार की राजनीतिक ‘दूरी’ को रेखांकित करने का एक बड़ा सरकारी प्रयास माना जा रहा है।
सरकार चाहती है कि नियम का पालन हो और लालू परिवार नए आवास में शिफ्ट हो जाए, जबकि राजद इसे एक राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। बिहार की जनता के मन में यह सवाल है कि क्या यह महज घर बदलने का प्रशासनिक आदेश है, या फिर यह 2025 के आगामी चुनावों से पहले की राजनीति का कोई बड़ा संकेत?
