
बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने भूमि सुधार उपसमाहर्ताओं (DCLR) की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। अब से डीसीएलआर (DCLR) अंचल कार्यालयों की कार्यप्रणाली के लिए पूरी तरह से जवाबदेह होंगे। इसके तहत अंचल कार्यालयों के नियमित निरीक्षण, लंबित मामलों के शीघ्र निपटारे और डिजिटल प्रणाली को लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। खास बात यह है कि अब म्यूटेशन अपील में सर्टिफाइड कॉपी की बजाय केवल डिजिटली साइन की गई प्रतियां ही मान्य होंगी। इसके साथ ही सर्टिफाइड कॉपी की प्रथा पर स्थायी रूप से रोक लगा दी गई है।
बिहार में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने यह निर्णय लिया है कि अब से भूमि सुधार उपसमाहर्ताओं (DCLR) को अंचल कार्यालयों की कार्यप्रणाली का नियमित निरीक्षण और समीक्षा करना होगा। विभाग ने स्पष्ट किया कि इस दिशा में डीसीएलआर की जवाबदेही तय की गई है। विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने दो दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन के दौरान यह निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अंचल कार्यालयों का नियमित निरीक्षण और समीक्षा आवश्यक है, ताकि बेहतर राजस्व प्रशासन सुनिश्चित किया जा सके।
अपर मुख्य सचिव ने डीसीएलआर को कम से कम महीने में दो बार अनुमंडल स्तर पर समीक्षा बैठक आयोजित करने और लंबित मामलों को शीघ्र निपटाने का निर्देश दिया। इसके अलावा, उन्होंने डीसीएलआर कोर्ट में पेंडिंग मामलों को कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका कहना था कि नियमित रूप से कम से कम चार दिन सुनवाई होनी चाहिए।
विभाग के सचिव जय सिंह ने इस कार्यक्रम के दौरान राजस्व न्यायालयों की पूरी कार्यप्रणाली ऑनलाइन करने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अब म्यूटेशन अपील में सिर्फ डिजिटली साइन किए गए पेपर ही मान्य होंगे और सर्टिफाइड कॉपी की प्रथा को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि राजस्व मामलों में वकील की आवश्यकता नहीं होगी, आवेदक स्वयं अपनी पैरवी कर सकता है।