
बिहार की तेज़ी से बदलती सियासत के बीच लालू यादव परिवार के अंदर मची खामोश हलचल अचानक सुर्खियों का सबसे बड़ा मुद्दा बन गई है। चुनावी नतीजों के तुरंत बाद रोहिणी आचार्य का परिवार से दूरी बनाना, राजनीति छोड़ने का ऐलान करना और लगातार तीखे आरोप लगाना,इन सबने राजनीतिक माहौल को और विस्फोटक बना दिया है। लेकिन इन उठापटक के बीच अब सबकी निगाहें एक ही नाम पर टिक गई हैं कि समरेश सिंह, रोहिणी आचार्य के पति। आखिर कौन हैं वे, कैसी है उनकी शख्सियत, और क्यों अचानक वे इस विवाद के केंद्र में आ गए।

रोहिणी आचार्य के पति समरेश सिंह हाल तक एक ऐसे नाम थे, जो सक्रिय राजनीति और मीडिया की चमक-दमक से कोसों दूर रहते थे। लेकिन हाल की हलचल ने उन्हें अचानक सुर्खियों के बीच ला खड़ा किया है। उनकी ओर बढ़ती दिलचस्पी की सबसे बड़ी वजह है उनका प्रभावशाली पारिवारिक बैकग्राउंड, मजबूत शैक्षणिक योग्यता और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित शानदार करियर। साल 2002 में रोहिणी से विवाह के बाद समरेश ने हमेशा शांत और निजी जीवन चुना। वे पूर्व आयकर आयुक्त राव रणविजय सिंह के बेटे हैं। शादी के बाद दोनों पहले अमेरिका गए और बाद में सिंगापुर में बस गए, जहां वे अब अपने तीन बच्चों के साथ रहते हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक किया, जिसके बाद दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से फाइनेंस और इंटरनेशनल ट्रेड में मास्टर्स पूरा किया। उनकी सबसे बड़ी अकादमिक उपलब्धि रही दुनिया के प्रमुख INSEAD बिजनेस स्कूल से MBA (फाइनेंस), जिसने उन्हें वैश्विक कॉर्पोरेट जगत की ऊंचाइयों तक पहुंचाया। साफ है कि समरेश सिंह जैसे लो-प्रोफाइल लेकिन हाई-क्लास प्रोफेशनल अचानक चर्चा में आते हैं तो जिज्ञासा बढ़ना स्वाभाविक है। उनकी पर्सनैलिटी और बैकग्राउंड उन्हें राजनीतिक विवादों से अलग एक शांत, सुसंस्कृत और सफल अंतरराष्ट्रीय प्रोफेशनल की छवि देते हैं।

करियर में भी समरेश लगातार नई ऊंचाइयां हासिल करते रहे हैं। फिलहाल वे सिंगापुर की प्रतिष्ठित कंपनी Evercore में मर्जर, एक्विजिशन और इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। इससे पहले वे स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में महत्वपूर्ण नेतृत्व भूमिकाएं संभाल चुके हैं, जहां उनकी रणनीतिक समझ और अंतरराष्ट्रीय अनुभव की खूब सराहना हुई। इधर, रोहिणी आचार्य के आरोपों ने लालू परिवार की राजनीति को और जटिल बना दिया है। विपक्ष तो पहले से हमलावर था ही, अब एनडीए के नेता भी इस विवाद को भुनाने में पीछे नहीं हैं। उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने तो सीधे तौर पर कहा कि जिस विभाजन की चर्चा परिवार के बाहर होती थी, वही अब परिवार के भीतर भी दिखाई देने लगा है।
