
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के लिए मैदान में उतरे उम्मीदवारों के हलफनामों का विश्लेषण चिंताजनक स्थिति सामने लाता है। असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के अनुसार, कुल 1303 उम्मीदवारों में से 423 उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले होने की घोषणा की है। यह आंकड़ा लगभग एक-तिहाई (32%) उम्मीदवारों का है। इनमें से 354 उम्मीदवारों पर गंभीर अपराधों के मामले दर्ज हैं।
सबसे ज्यादा आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार सिवान जिले से हैं। जिलेवार आंकड़ों के अनुसार, सिवान में 32 ऐसे उम्मीदवार हैं, जबकि पटना और सारण में 31-31 उम्मीदवार मैदान में हैं। इसके अलावा मुजफ्फरपुर और दरभंगा में 29-29 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। कुल मिलाकर पहले चरण की 121 सीटों में से 91 सीटों यानी लगभग 75% सीटों पर तीन या उससे अधिक दागी उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। इन्हें ‘रेड अलर्ट’ वाली सीटें माना गया है।
राजनीतिक दलों के स्तर पर देखें तो महागठबंधन के प्रत्याशियों में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की संख्या एनडीए से अधिक है। महागठबंधन के राजद के 70 प्रत्याशियों में से 42 (60%) पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। कांग्रेस के 23 में से 12 (52%) उम्मीदवार, भाकपा माले (CPI-ML) के 14 में से 9 (64%) और भाकपा (CPI) के 5 में से 4 (80%) प्रत्याशी आपराधिक पृष्ठभूमि वाले हैं। माकपा (CPM) के तीनों प्रत्याशियों पर भी आपराधिक मामले दर्ज हैं।
वहीं किसी विशेष विधानसभा सीट की बात करें तो मुजफ्फरपुर जिले की कुढ़नी विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार मैदान में हैं। यह रिपोर्ट चुनाव प्रक्रिया और लोकतंत्र की पारदर्शिता के दृष्टिकोण से गंभीर सवाल खड़े करती है। बिहार के पहले चरण के चुनाव में यह आंकड़ा दर्शाता है कि चुनावी हिंसा और अपराध से जुड़े मुद्दे जनता के लिए अहम विषय बने रहेंगे।