
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में सीट बँटवारे पर अंतिम मुहर लगने का इंतज़ार किए बिना ही, कांग्रेस पार्टी ने अपने 22 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर चुनावी बिगुल फूंक दिया है। पार्टी ने राज्य की कुल 22 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों का औपचारिक ऐलान कर दिया है।
इस सूची के अनुसार, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम एक बार फिर कुटुंबा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में इन 22 नामों पर मुहर लगी थी। सूची जारी करने की रणनीति के तहत, कांग्रेस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए एक-एक सीट का नाम सार्वजनिक कर रही है।

बुधवार शाम को, प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरु, प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, और विधायक दल के नेता शकील अहमद खान दिल्ली से पटना लौटे और लौटते ही अधिकृत उम्मीदवारों को सिंबल (पार्टी का चुनाव चिन्ह) बाँटने की प्रक्रिया शुरू कर दी।
बिक्रम सीट पर टिकट को लेकर कार्यकर्ताओं का हंगामा
हालांकि, प्रत्याशियों के नामों की घोषणा के साथ ही पार्टी के भीतर असंतोष भी खुलकर सामने आ गया है। खासकर बिक्रम विधानसभा सीट को लेकर कांग्रेस में भारी बवाल मचा हुआ है। पार्टी कार्यकर्ताओं का गुस्सा इसलिए भड़क उठा क्योंकि इस सीट से भाजपा छोड़कर आए अनिल कुमार को टिकट दिया गया है।
कार्यकर्ताओं का विरोध इतना तीव्र था कि बुधवार को पटना एयरपोर्ट पर ही हंगामा शुरू हो गया। विरोध प्रदर्शन इतना उग्र हुआ कि कार्यकर्ताओं के बीच जमकर मारपीट भी हुई। स्थिति को संभालने के लिए पार्टी के शीर्ष नेताओं—प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरु, प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और सीएलपी लीडर शकील अहमद खान—को प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं से बचने के लिए वहाँ से भागकर निकलना पड़ा। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव से पहले ही टिकट वितरण को लेकर कांग्रेस के आंतरिक समीकरण बिगड़ चुके हैं।
महागठबंधन में फंसा सीटों का पेंच
एक तरफ कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों को सिंबल देना शुरू कर दिया है, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन (जिसमें कांग्रेस एक प्रमुख भागीदार है) के भीतर अभी भी कुछ सीटों के बँटवारे को लेकर सहमति नहीं बन पाई है। गठबंधन के सूत्रों के हवाले से खबर है कि जिन सीटों पर गतिरोध बना हुआ है, उन्हें जल्द ही बातचीत के माध्यम से सुलझा लिया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि महागठबंधन द्वारा शुक्रवार को सीटों के बँटवारे का आधिकारिक ऐलान किए जाने की पूरी संभावना है।
कांग्रेस द्वारा सीट बँटवारे से पहले ही अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का यह कदम, जहाँ एक ओर पार्टी की तैयारियों को गति देने का संकेत देता है, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन के भीतर दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है।