टॉप न्यूज़बिहार

सीमांचल की 24 मुस्लिम सीटों पर कौन भारी,पीके-AIMIM का कितना असर?

बिहार,AIMIM

सीमांचल की 24 मुस्लिम सीटों पर कौन भारी,पीके-AIMIM का कितना असर?

चुनाव की बात आते ही सबसे पहले मुस्लिम वोट बैंक का जिक्र होने लगता है. किशनगंज उस सीमांचल का हिस्सा है, जिसमें कटिहार, पूर्णिया और अररिया भी शामिल हैं. चारों जिलों में विधानसभा की 24 सीटें हैं.इसबार सिमांचल में क्या होनेवाला है?2011 की जनगणना के मुताबिक, किशनगंज में 68%, अररिया में 43%, कटिहार में 45% और पूर्णिया में 39% मुस्लिम आबादी है.2011 की जनगणना के मुताबिक, किशनगंज में 68%, अररिया में 43%, कटिहार में 45% और पूर्णिया में 39% मुस्लिम आबादी है. बिहार की जातीय गणना-2023 के मुताबिक, राज्य की 243 विधानसभा सीटों में से 47 पर मुस्लिम वोटर निर्णायक हैं. इनमें से 11 पर 40% से ज्यादा, 7 पर 30% से ज्यादा और 29 सीटों पर 20% से 30% मुस्लिम वोटर हैं.मुस्लिमों का सबसे ज्यादा असर किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया में हैं.

जैसा नैरेटिव चल रहा है, उससे लगा था कि मुस्लिम वोटर वक्फ बिल और SIR में वोट कटने की बात कहेंगे, लेकिन उनके मुद्दे इनसे अलग पलायन, रोजगार और पढ़ाई है.लोगों का कहना है कि ‘यहां काम नहीं है, चुनाव में सब नौकरी की बात करते हैं, फिर भूल जाते हैं’.इसबार चुनाव में ‘बेरोजगारी हमारा सबसे बड़ा मुद्दा है. नौजवान काम के लिए परेशान हैं. लेकिन रोजगार और नौकरी को लेकर नीतीश कुमार से ज्यादा तेजस्वी यादव पर भरोसा नहीं है.पढ़ाई बड़ा मुद्दा है.लोगों की शिकायत है कि ‘पढ़ाई की तरफ किसी का ध्यान नहीं है. किशनगंज में हायर एजुकेशन के लिए सिर्फ एक मारवाड़ी कॉलेज है.’प्राइवेट स्कूल बढ़ते जा रहा है. सरकारी स्कूल खत्म हो रहे हैं. वहां सिर्फ खिचड़ी खिलाई जा रही है.’

मुस्लिम समाज के लोगों का कहना है कि नीतीश कुमार बेहतरीन नेता हैं. जितना नीतीश कुमार ने दिया है, उतना किसी CM ने अब तक नहीं दिया है और न दे पाएंगे. बिहार के लिए सबसे बेहतरीन CM नीतीश कुमार ही हैं.हालांकि ’वक्फ कानून को लेकर थोड़ी बहुत नाराजगी जरुर है.उनका कहना है कि ,’ ‘सरकार ने ये कानून बनाकर मुसलमानों को निराश किया है.लेकिन अति-पिछड़ा समाज पर इस कानून का कोई असर नहीं है.उनका कहना है कि जो हमारे लिए जो काम कर रहा है, उसे केवल इसलिए नहीं छोड़ देगें क्योंकि उसने वक्फ बोर्ड कानून का समर्थन किया.इस कानून से आम मुसलमान पर क्या फर्क पड़नेवाला है?

सीमांचल में महिलाएं एक्स फैक्टर साबित हो सकती है. किशनगंज, कटिहार और अररिया के इलाकों में दो तरह की तस्वीर देखने को मिलीं. एक ही घर में पुरुष वक्फ बिल की वजह से नीतीश कुमार से नाराज हैं, लेकिन महिलाएं नीतीश कुमार का सपोर्ट कर रही हैं. हालांकि वे सीधे तौर पर कैमरे पर आने से बचती हैं.महिलाओं में मुख्यमंत्री रोजगार योजना के तहत मिलने वाले 10 हजार रुपए की सबसे ज्यादा बातें हो रही हैं. उन्हें उम्मीद है कि नीतीश कुमार ही उनके लिए अच्सछा कर सकते हैं.’इस बार हम नीतीश कुमार को ही वोट देंगे. जीविका दीदी के ग्रुप में हम लोगों को बताया गया है कि नीतीश कुमार 10 हजार रुपए देंगे. बिजनेस करने के लिए भी पैसा मिलेगा.’

लालू यादव अब पुराने हो गए हैं.‘नीतीश कुमार अच्छा काम कर रहे हैं. गरीबों का भला कर रहे हैं. इस बार भी नीतीश कुमार को ही वोट डालेंगे.जाहिर है मुस्लिम महिलायें महागठबंधन का खेल बिगाड़ सकती हैं.उन्हें नीतीश kumar का काम पसंद आ रहा है.’ जहांतक जनसुराज की बात है , भले prashant किशोर 40 सीटों पर मुस्लिम कैंडिडेट उतारने की बात कह रहे हो, लेकिन सीमांचल में प्रशांत किशोर का बहुत असर नहीं दिखता. लेकिन मुस्लिम उम्मीदवार देने की वजह से उन्हें muslim वोट में हिस्सेदारी जरुर मिलेगी.’

’मुस्लिम ओवैसी के साथ किस हद तक जाना चाहेंगे, ये बड़ा विषय है. अगर प्रधानमंत्री सीमांचल में आकर घुसपैठ की बात करते हैं, तो जाहिर सी बात है कि उनके निशाने पर महागठबंधन है. मोदी इस बात को अच्छे से जानते हैं कि सीमांचल में उन्हें मुस्लिम समुदाय का वोट नहीं मिलेगा इसलिए सीमांचल में घुसपैठ का मुद्दा उछाला जा रहा है. वक्फ बिल और SIR का असर पड़ेगा. लेकिन AIMIM को लेकर muslim युवाओं में बड़ा आकर्षण है.जो मुस्लिम वोटर पिछले चुनाव में महागठबंधन के साथ थे इसबार ओवैशी के साथ खड़े नजर आ रहे हैं.राहुल gandhi की यात्रा का कोई ख़ास असर नहीं दिखाई दे रहा है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!