
बिहार विधानसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच, भारतीय जनता पार्टी (BJP) को एक बड़ा झटका लगा है। अररिया जिले के वरिष्ठ नेता और चार बार के पूर्व विधायक जनार्दन यादव ने बीजेपी का साथ छोड़ते हुए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाले जन सुराज अभियान की सदस्यता ग्रहण कर ली है।
गुरुवार को प्रशांत किशोर ने जनार्दन यादव को औपचारिक रूप से संगठन की सदस्यता दिलाई। यादव का जन सुराज में शामिल होना अररिया और सीमांचल क्षेत्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना मानी जा रही है, जिससे बीजेपी के क्षेत्रीय समीकरण प्रभावित हो सकते हैं।
उपेक्षा से आहत थे पूर्व विधायक
जनार्दन यादव का राजनीतिक करियर काफी लंबा और प्रभावशाली रहा है। वह जेपी आंदोलन से जुड़े रहे हैं और छात्र राजनीति से ही सक्रियता दिखाते हुए बीजेपी के प्रमुख नेताओं में अपनी जगह बनाई थी। वह चार बार विधायक चुने गए और अररिया की राजनीति में उनका वर्षों तक गहरा प्रभाव रहा है।
हालांकि, 2015 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही जनार्दन यादव पार्टी के अंदर खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे थे। उन्होंने बीजेपी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके वर्षों के अनुभव और जनाधार को लगातार नजरअंदाज किया गया। उन्होंने दावा किया कि संगठन में सक्रिय भूमिका निभाने के बावजूद उन्हें कोई महत्वपूर्ण अवसर नहीं मिला और उन्हें हाशिए पर धकेल दिया गया, जिससे वे आहत थे।
प्रशांत किशोर के दृष्टिकोण से प्रभावित
जन सुराज अभियान में शामिल होने के बाद, जनार्दन यादव ने अपने निर्णय का कारण बताया। उन्होंने कहा कि वह प्रशांत किशोर की सोच और बिहार को नई दिशा देने के दृष्टिकोण से अत्यंत प्रभावित हैं। यादव ने कहा, “प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति को एक नई दिशा देने का प्रयास कर रहे हैं। मैं इस परिवर्तन यात्रा का हिस्सा बनकर अपने राज्य के विकास में योगदान देना चाहता हूं। अब राजनीति का तरीका बदलना जरूरी है और जन सुराज इसी बदलाव की राह पर है।”
जनार्दन यादव का जन सुराज में शामिल होना प्रशांत किशोर के अभियान के लिए एक बड़ी सफलता है। प्रशांत किशोर ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि जनार्दन यादव जैसे अनुभवी और जनाधार वाले वरिष्ठ नेताओं के जुड़ने से उनके ‘जन सुराज’ आंदोलन को और अधिक मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य बिहार के जमीनी नेताओं को एक मंच पर लाना है जो वास्तव में राज्य के विकास के लिए काम करना चाहते हैं।
जनार्दन यादव का बीजेपी से अलग होना आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अररिया और सीमांचल में पार्टी के लिए एक बड़ा नुकसान माना जा रहा है। उनके जाने से न केवल एक अनुभवी नेता का साथ छूटा है, बल्कि उनके समर्थकों और प्रभाव वाले क्षेत्रों में भी बीजेपी के वोट बैंक पर असर पड़ना तय है। यह घटना दर्शाती है कि चुनाव से पहले दोनों प्रमुख गठबंधनों के इतर, जन सुराज बिहार की पारंपरिक राजनीति में अपनी पैठ बनाने में कामयाब हो रहा है।