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भारतीय सेना की हवाई सुरक्षा को मिलेगी ‘अनंत शस्त्र’ की शक्ति: 30,000 करोड़ के स्वदेशी मिसाइल सिस्टम से सीमाएं अभेद्य होंगी

दिल्ली,‘आत्मनिर्भर भारत’

भारतीय सेना की हवाई सुरक्षा को मिलेगी 'अनंत शस्त्र' की शक्ति: 30,000 करोड़ के स्वदेशी मिसाइल सिस्टम से सीमाएं अभेद्य होंगी

भारतीय सेना अपनी हवाई सुरक्षा कवच को अभूतपूर्व मजबूती देने के लिए पूरी तरह तैयार है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (QRSAM) प्रणाली, जिसे अब ‘अनंत शस्त्र’ का नया नाम दिया गया है, की खरीद के लिए लगभग 30,000 करोड़ रुपये का एक बड़ा प्रस्ताव (RFP) भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) को जारी किया गया है। भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) मिसाइलों के उत्पादन में सहयोग करेगी। यह कदम प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ विजन के तहत स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा देने की दिशा में एक निर्णायक छलांग है।

‘अनंत शस्त्र’ सिर्फ एक मिसाइल सिस्टम नहीं, बल्कि युद्ध के मैदान में एक क्रांति है। यह एक उच्च-गतिशील, मोबाइल वायु रक्षा प्रणाली है, जिसे विशेष रूप से पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर तैनात सेना के गतिशील लड़ाकू समूहों की सुरक्षा के लिए डिज़ाइन किया गया है।

क्यों महत्वपूर्ण है ‘अनंत शस्त्र’?
पिछले कुछ वर्षों में, ड्रोन झुंडों (Drone Swarms) और लॉइटरिंग म्यूनिशंस (Loitering Munitions) जैसे नए हवाई खतरों ने पारंपरिक युद्ध प्रणालियों के लिए गंभीर चुनौतियाँ पैदा की हैं। भारतीय सेना दशकों से सोवियत-मूल के OSA-AK और स्वदेशी आकाश SAM जैसे प्रणालियों पर निर्भर रही है, लेकिन अब ‘अनंत शस्त्र’ इन उभरते खतरों से निपटने के लिए एक फुर्तीला और आधुनिक समाधान पेश करेगा।

यह प्रणाली 8×8 हाई-मोबिलिटी वाहनों पर लगाई जाएगी, जिसका अर्थ है कि यह टैंकों, इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स (ICV) और तोपखाने के साथ रेगिस्तान, मैदानों और ऊंचे पहाड़ों सहित हर तरह के इलाके में आसानी से चल सकती है। इसका मुख्य कार्य ‘एयर लिटोरल’—यानी जमीन से लगभग 10 किलोमीटर की कम से मध्यम ऊंचाई तक—के क्षेत्र में सेना के ठिकानों की रक्षा करना है, जहां दुश्मन के विमान, हेलीकॉप्टर और ड्रोन आमतौर पर उड़ान भरते हैं।

‘अनंत शस्त्र’ की मुख्य विशेषताएं:
मारक क्षमता: 
यह 30 से 40 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्यों को बेअसर करने में सक्षम है, और 6 से 10 किलोमीटर की ऊंचाई पर प्रभावी ढंग से काम करता है। यह लड़ाकू जेट, हमलावर हेलीकॉप्टर, ड्रोन, रॉकेट और मिसाइलों को नष्ट कर सकता है।

अत्यधिक गतिशीलता: वाहन-माउंटेड होने के कारण, यह युद्ध समूहों के साथ मिलकर तेज़ी से आगे बढ़ सकता है और चलते-फिरते ही लक्ष्यों को खोज सकता है।

तकनीकी बढ़त: यह 360-डिग्री निगरानी रडार, स्वचालित कमांड और नियंत्रण प्रणाली, और हर मौसम में ट्रैक करने की क्षमता से लैस है।

इलेक्ट्रॉनिक लचीलापन: इसे इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग के प्रतिरोधी (Jamming-Resistant) के रूप में डिज़ाइन किया गया है, जो शत्रुतापूर्ण युद्धक्षेत्र की परिस्थितियों में भी सटीक निशाना सुनिश्चित करता है।

फायरपावर: त्वरित प्रतिक्रिया के लिए प्री-फ्रैगमेंटेड वॉरहेड्स (Pre-fragmented Warheads) और सॉलिड-फ्यूल प्रोपल्शन से सुसज्जित।

सीमाओं पर तैनाती की योजना
सेना की शुरुआती योजना के तहत ‘अनंत शस्त्र’ की तीन रेजिमेंट तैनात की जाएंगी। इन इकाइयों को पाकिस्तान और चीन के साथ लगी महत्वपूर्ण पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर तैनात किया जाएगा। यह तैनाती सुनिश्चित करेगी कि अग्रिम मोर्चे पर तैनात हमारी टुकड़ियाँ हवाई हमलों के डर के बिना आगे बढ़ सकें, जिससे सेना की मशीनीकृत टुकड़ियों की हमलावर क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।

हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान, भारतीय सेना की वायु रक्षा इकाइयों ने पाकिस्तानी ड्रोन हमलों को सफलतापूर्वक विफल करके अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया था। ‘अनंत शस्त्र’ का शामिल होना, सेना की हवाई सुरक्षा को और भी अधिक मजबूत और शक्तिशाली बना देगा।

यह परियोजना भारत की सुरक्षा और रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है, जो हमारी सीमाओं को आधुनिक हवाई खतरों से सुरक्षित रखेगा।

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