
वक्फ लॉ को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। साथ ही कई प्रावधानों पर रोक लगा दी है। आइए जानते हैं कोर्ट ने और क्या कहा।
वक्फ (संशोधन) कानून, 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बड़ा झटका दिया है। इसके साथ ही कानून के कई प्रावधानों पर रोक लगा दी है। इस कानून के खिलाफ़ 100 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की गई थीं। हालांकि, आरोप थे कि यह कानून मुस्लिम संपत्तियों पर जबरन कब्जा करने का अधिकार सरकार को देता है। इस कानून पर रोक लगाने की मांग की गई थी। दरअसल, CJI बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा- “किसी भी कानून पर रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस में ही रोक लगाई जा सकती है। रोक नहीं लगा रहे हैं। लेकिन इसके कई प्रावधानों पर रोक लगा रहे हैं।”
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तीन प्रमुख बातें:
– कानून में वक्फ़ करने के लिए कम से कम 5 साल तक इस्लाम की प्रैक्टिस करने को अनिवार्य कर दिया गया था। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाई है।
– सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर के पास प्रॉपर्टी विवाद पर फैसला करने का अधिकार नहीं होगा। कमिश्नर को यह अधिकार नहीं दिया जा सकता है कि वो संपत्ति का मालिकाना हक तय करे।
– सुप्रीम कोर्ट ने कानून के उस प्रावधान पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई है जिसमें वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान था। कोर्ट ने आगे कहा कि सेंट्रल वक्फ काउंसिल में 4 से ज्यादा मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते हैं, और स्टेट वक्फ़ बोर्ड में 3 से ज्यादा मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते हैं।
गौरतलब है कि इसी साल 3 अप्रैल को लोकसभा में यह बिल पेश किया गया था। हालांकि, केंद्र सरकार के पास ज्यादा समर्थन होने के कारण लोकसभा और राज्यसभा दोनों में यह कानून पास हो गया। इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस बिल को मंजूरी दे दी थी, जिसके बाद वक्फ कानून लागू हो गया था। जानकारी के लिए बता दें कि वक्फ एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब होता है ‘अल्लाह के नाम’। यानी ऐसी जमीनें जो किसी व्यक्ति या संस्था के नाम नहीं बल्कि वक्फ बोर्ड के नाम होती हैं। इनमें मस्जिद, मदरसे, कब्रिस्तान, ईदगाह, मजार या अस्पतालें आदि बनाए जाते हैं। इन जमीनों का कोई गलत तरीके से इस्तेमाल न करे और न ही कोई बेचे, इसे बचाने के लिए वक्फ बोर्ड का गठन किया गया था। वहीं, वक्फ बोर्ड मुस्लिम समाज की जमीनों पर पूरा नियंत्रण होता है।
