
बिहार सरकार के तीन मंत्रियों के विभाग के इंजीनियर सबसे ज्यादा भ्रष्ट हैं. मंत्री अशोक चौधरी, बिजेंद्र और जयंत चौधरी के विभाग के इंजीनियर सबसे ज्यादा भ्रष्ट हैं.एक इंजीनियर ने 150 करोड़ तक की बनाई संपत्ति तो दूसरा चला रहा था हवाला का नेटवर्क और तीसरे ने पत्नियों के नाम फर्जी कंपनियां बनाकर करोड़ों की सम्पति खपाई.
किशनगंज में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के पद पर तैनात ग्रामीण कार्य विभाग के संजय कुमार राय के 5 ठिकानों पर विजिलेंस ने एक साथ छापेमारी की. हर ठिकाने से भारी संख्या में कैश बरामद हुआ. कुल 5 करोड़ 32 लाख 38 हजार रुपए कैश जब्त किए गए.ब्लैक मनी का पूरा हिसाब-किताब संजय लिखित में रखते थे. इससे जुड़ी पांच डायरी निगरानी को हाथ लगी. इसमें भ्रष्टाचार के जरिए कमाए गए रुपए का लेखा-जोखा था.इन्होंने पटना, पटना सिटी और पूर्णिया में कुल 6 जगहों पर खुद के, पत्नी और बेटी के नाम पर 1.77 करोड़ रुपए कीमत की प्रॉपर्टी खरीदी थी. इंजीनियर महंगी घड़ी के शौकीन थे. इनके ठिकानों से 13 कीमती घड़ियां बरामद हुई थीं.
जांच में खुलासा हुआ कि संजय कुमार राय ने दो जूनियर इंजीनियर (JE) को प्राइवेट तरीके से हायर कर रखा था. सरकारी नौकरी में दिखावे के लिए संजय काम करते थे.मगर, पर्दे के पीछे से सारा काम इनके हायर किए गए दोनों जूनियर इंजीनियर करते थे. चाहे योजना का एस्टीमेट बनाना हो, जगह की मापी करानी हो या फिर ब्लैक मनी के लिए डील करनी हो. संजय कुमार के इशारे पर सबकुछ दोनों जूनियर इंजीनियर ही करते थे.विजिलेंस ने 26 अगस्त 2022 को पटना में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर संजय कुमार राय के खिलाफ आय से अधिक 1 करोड़, 4 लाख, 4434 रुपए की FIR दर्ज की थी.
पथ निर्माण विभाग में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के पद पर तैनात कौन्तेय कुमार के ठिकानों पर विजिलेंस ने छापेमारी कर करोड़ों रुपए की चल-अचल संपत्ति बनाने का खुलासा किया.इनके पास पटना में गोसाईं टोला स्थित नित्यानंद इन्क्लेव अपार्टमेंट में एक फ्लैट, बोरिंग रोड स्थित कृष्णा अपार्टमेंट में दो फ्लैट है. इसकी कीमत एक करोड़ से ऊपर है.इसके अलावा शगुना मोड़ और हाजीपुर में भी प्रॉपर्टी है. इनके ठिकाने से 12 लाख कैश, 33.75 लाख की ज्वेलरी, 31 लाइफ इंश्योरेंस में 30 लाख से अधिक के इंवेस्टमेंट से जुड़े डॉक्यूमेंट्स मिले थे. कौन्तेय कुमार हर साल संपत्ति की गलत जानकारी देते थे.‘कौन्तेय कुमार मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए ब्लैक मनी को व्हाइट कर रहे थे. जांच हुई तो उसने बताया कि पत्नी एक कंपनी की मालकिन है.’पत्नी कमाती है और उसकी आमदनी से प्रॉपर्टी खरीदी है. पर जांच में न उसकी पत्नी किसी कंपनी की मालकिन मिलीं और न ही वो कोई जॉब करती थीं.कौन्तेय कुमार के खिलाफ निगरानी ने 1 करोड़ 76 लाख 82 हजार 920 रुपए के आय से अधिक संपत्ति की FIR दर्ज की थी. इसके बाद ही इनके ठिकानों पर छापेमारी की गई थी.
भवन निर्माण विभाग में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के पद पर तैनात फिरोज आलम के पास दिल्ली में बिहार भवन, बिहार सदन और बिहार निवास की जिम्मेवारी थी.2022 में इनके खिलाफ आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने कार्रवाई की. दिल्ली और पटना के इनके आवास और ऑफिस तथा भाई के घर पर छापेमारी हुई. इनके पास से 2 करोड़ 61 लाख 82 हजार रुपए की संपत्ति मिली.जांच में सामने आया कि इंजीनियर फिरोज आलम ने खुद के और पत्नी के नाम पर दिल्ली के सुखदेव नगर में 1.30 करोड़ रुपए का फ्लैट खरीदा है.दिल्ली के जौहरी बाग में 2, शाहीन बाग में एक फ्लैट और मेरठ में जमीन खरीदने के भी सबूत मिले थे. दिल्ली में घर से 1.45 लाख रुपए कैश और लाखों की ज्वेलरी मिली थी.EOU की जांच में इनकी कुल संपत्ति आय से 91.08% अधिक पाई गई. पुलिस अधिकारी के अनुसार, जांच में इंजीनियर ने कहा था कि संपत्ति उसके भाई की है. उसने ही अपने नाम पर खरीदी है. मगर, जब भाई से पूछताछ हुई तो उसने साफ इनकार कर दिया था.
3 तरीके से काली कमाई करते हैं इंजीनियर
पहला तरीका- टेंडर पास कराना है तो पैसा दीजिए
विनोद राय के मामले की जांच में यह बात सामने आई है कि वह बिना कमीशन लिए कोई टेंडर पास नहीं करते थे। उनका रेट 4 से 6 प्रतिशत तक फिक्स था। बड़े प्रोजेक्ट पर रेट और हाई हो जाता था।
विनोद पैसा ऊपर तक पहुंचाते थे। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने X पर लिखा था, ‘भ्रष्टाचार के अरबों रुपए की बंदरबांट में दो मंत्रियों के मनमुटाव को लेकर इंजीनियर विनोद राय के घर छापेमारी की गई।’
दूसरा तरीका- बिल पास कराने में हिस्सेदारी
इंजीनियरों के ब्लैक मनी कमाने का दूसरा तरीका है बिल को अटका देना। 10 जुलाई को बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर प्रमोद कुमार के ठिकानों पर छापेमारी हुई थी। इसमें काली कमाई का पता चला था।
जांच में पता चला कि प्रमोद कमीशन के लिए ठेकेदारों का बिल रोक देते थे। 2 से 5 फीसदी तक कमीशन लेने के बाद ही बिल पास करते थे।
तीसरा तरीका- अपने पसंद की कंपनी से खरीदवाते थे रॉ मटेरियल
जांच में पता चला है कि इंजीनियर अपनी पसंद की कंपनी और दुकान से सारा रॉ मटेरियल खरीदवाते हैं। इसमें ईंट, सीमेंट और छड़ शामिल है। इनकी क्वालिटी जैसी भी हो, इसमें भी इनका कमीशन फिक्स रहता है।
इसके अलावा एक तरीका यह भी है कि अगर किसी प्रोजेक्ट पर ठेकेदार ने सही काम किया है तो उसके बाद भी उसे गलत बताने की कोशिश होती है। यह तब तक जारी रहती है, जब तक इंजीनियर को सही रिपोर्ट लिखने के लिए उसके हिसाब का कमीशन नहीं मिल जाता।

