
सूबे के मुखिया नीतीश कुमार 2005 में सरकार में आते ही, सबसे अधिक महिलाओं के अधिकार और उनकी भागीदारी को ले कर काफी फिक्रमंद रहे हैं । अब तो बिहार में महिलाओं को किसी भी तरह की नौकरी में 35 प्रतिशत आरक्षण दे दिया है । इसी 35 प्रतिशत आरक्षण का नतीजा है कि बिहार पुलिस महकमे में महिला पुलिस जवान, एएसआई और सब इंस्पेक्टर की बड़ी सँख्या दिख रही है । लेकिन इसका साईड इफेक्ट भी अब सामने आने लगा है । पुरुष और महिला पुलिस कर्मियों के बीच बन रहे प्रेम संबंध और उसके बाद आत्महत्या, आत्महत्या और हत्या जैसी घटनाओं में काफी इजाफा हो रहा है । एक जिला गया जी में, महज 2 दिनों के बीच एक दरोगा ने ख़ुदकुशी कर ली वही दुसरे ने ख़ुदकुशी की कोशिश में अपने हाथ की नसें काट ली । इस घटना से अभी थोड़ा उबरे भी नहीं थे कि फिर इसी जिले में एक और थानेदार और महिला दरोगा के बीच पहले प्रेम अब भयंकर खटास की ख़बर से विभाग सहम सा गया है ।
गौरतलब है कि गयाजी में तैनात एक थानेदार और उसके मातहत महिला दारोगा के बीच के गहरे प्रेम के रिश्ते ने अब बेहद नाजुक मोड़ ले लिया है । दोनों की मानसिक हालत से अवगत वरीय अधिकारियों को किसी बड़ी अनहोनी की आशंका सता रही है । इस आपात हालत से निपटने के अधिकारियों के द्वारा कतिपय प्रयास भी किए जा रहे हैं ।
गयाजी में अनुज कश्यप के सुसाइड मामले में, एक लेडी एसआई स्वीटी को गिरफ्तार किया गया है । स्वीटी ने पूछताछ के दौरान, शादी के लिए दवाब बनाने की बात स्वीकारी है । नतीजतन मानसिक प्रताड़ना नहीं झेल पाए दारोगा अनुज कश्यप ने अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। गयाजी के ही अतरी थानाध्यक्ष ने अपने दोनों हाथों की नस काट कर आत्महत्या का प्रयास किया । समय रहते इसकी जानकारी मिल गई और इस दरोगा की जान बचा ली गई । घायल दारोगा का नाम संजय कुमार है, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है । इससे पहले भी बिहार के विभिन्न जिलों से आत्महत्या से ले कर हत्या तक कि खबर आती रही है ।
अचानक पुलिस विभाग में आई महिलाकर्मियों की बाढ़ से पूरे पुलिस महकमे के काम काज भी प्रभावित हो रहे हैं । हम लोगों ने एक सर्वे कराया जिसमें हमने विभिन्न जिलों के कई एसएचओ से महिलाकर्मियों को ले कर बात की । उनका कहना था कि गश्ती से ले कर अन्य पुलिसिंग के काम के निपटारे में महिलाकर्मियों की वजह से काफी दिक्कतें आ रही हैं । गश्ती के लिए एक घण्टा पहले रेडी होने के लिए कहा जाता है, फिर भी वे समय पर वर्दी पहने कर नहीं आते हैं । ज़्यादा दबाब भी वे नहीं बना पाते हैं कि उन पर कोई आरोप ना लगा दे…. सही मायने में कहें तो यह सही भी है । कई महिला कांस्टेबल और अन्य महिलाकर्मियों ने पुरुष अधिकारियों पर छेड़छाड़ के आरोप भी लगाए हैं । महिला सब इंस्पेक्टर समय से सिरिस्ता का काम नहीं कर पाती हैं । केस का निष्पादन सही समय से नहीं होता है, जिससे कोर्ट की फटकार उन्हें अलग से सुननी पड़ती है ।
पुलिस महकमे में महिलाओं की अधिक भागीदारी के बड़े नुकसान ज्यादे दिख रहे हैं । महिला कर्मी और अधिकारियों के बीच वक्ती प्रेम प्रसंग और शारीरिक सम्बन्ध आसानी से बन रहे हैं । तत्काल तो यह सब खूब अच्छा लगता है लेकिन कुछ समय बीतते बीतते, आपस में खटास और मनमुटाव होने लगते हैं और मामला किसी बड़ी घटना में तब्दील हो जाती है या फिर कोर्ट पहुँचना तो तय है । बिहार उतना शिक्षित और समृद्ध सूबा नहीं है । बिहार में अभी भी पौराणिक परम्पराएँ जीवित हैं । अभी बिहार में कॉरपोरेट कल्चर नहीं है । अब बल्क में लड़कियाँ पुलिस की नौकरी में जा रही हैं और कलीग्स के तौर पर उनका सामना पुलिस समाज से होता है । जब अलग-अलग जगह के स्त्री और पुरुष आसपास रहते हैं, तो कई तरह की आशंकाएँ बेहद प्रबल होती हैं । हत्या, आत्महत्याएं और कोर्ट कचहरी के चक्कर बड़े पैमाने पर हो रहे हैं । यह तो जाहिर सी बात है कि पुरुष और स्त्री के बीच आकर्षण, एक स्वाभाविक प्रक्रिया है । अन्य सरकारी विभाग के कल्चर अलग हैं । अन्य विभागों में ऐसी घटनाएँ बहुत कम घटित होती हैं । डोमिशाईल से पहले शिक्षक और शिक्षिकाओं के बीच प्रेम और फिर विवाह की खबरें भी बहुत मिली थीं । दूसरे प्रदेश से आने वाले लड़के और लड़कियों ने बड़ी मात्रा में विवाह किए । कुछेक घटनाएं भी घटित लेकिन इस तरह के दुःखद और गम्भीर मामले ज़िरफ पुलिस विभाग में अधिक देंखने को मिल रहे हैं । सरकार और राज्य पुलिस मुख्यालय को इस मसले पर गम्भीरता से चिंतन मनन और बड़े फैसले लेने की जरूरत है ।
