
चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठानेवाले अपने सांसद सांसद गिरधारी यादव को जेडीयू ने नोटिस जारी कर दिया है.पार्टी लाइन से अलग बयान देने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. यादव ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे, जिससे पार्टी नाराज है.जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने बांका से अपने सांसद गिरधारी यादव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. पार्टी ने उनसे 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा है कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों न की जाए. सूत्रों के अनुसार, सांसद गिरधारी यादव ने हाल ही में चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए एक बयान दिया था, जिससे जेडीयू का शीर्ष नेतृत्व नाराज बताया जा रहा है. पार्टी का मानना है कि गिरधारी यादव का यह बयान पार्टी की आधिकारिक स्थिति से मेल नहीं खाता और इससे संगठन की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. संवैधानिक संस्थाओं पर सार्वजनिक टिप्पणी को पार्टी ने गंभीरता से लिया है.
इस पूरे मामले पर गिरधारी यादव ने कहा, “मैंने पार्टी विरोधी कोई बात नहीं कही है. मैंने सिर्फ इतना कहा कि अगर मुझे चुनाव आयोग से शिकायत है, तो बाकी लोगों को कितनी परेशानी हुई होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. सांसद ने आगे बताया कि उन्होंने अभी तक नोटिस पढ़ा नहीं है और पढ़ने के बाद ही वे इसका जवाब देंगे. पार्टी लाइन के सवाल पर उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार ने इस पर कुछ नहीं कहा है. हम सभी सांसद हैं और सांसद की हैसियत से अपनी बात रखी है. जब हम नीतीश जी के खिलाफ कुछ बोलेंगे या पार्टी व्हिप का उल्लंघन करेंगे, तभी कोई कार्रवाई उचित होगी.”
सत्ताधारी जेडीयू के सांसद गिरधारी यादव ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाए थे. उन्होंने SIR को “तुगलकी फरमान” बताते हुए कहा था कि यह आम लोगों के लिए परेशानी भरा है. मुझे खुद अपने नाम को वोटर लिस्ट में अपडेट कराने में 10 दिन लग गए. चुनाव आयोग को बिहार के हालात और लोगों की समस्याओं की समझ नहीं है.यादव ने परेशानी बतलाते हुए कहा था कि मेरा बेटा अमेरिका में रहता है, वह दस्तखत कैसे भेजेगा? मुझे खुद जरूरी कागजात इकट्ठा करने में 10 दिन लग गए. आयोग ने इतनी बड़ी प्रक्रिया के लिए बहुत कम समय दिया है. उन्होंने यह भी कहा था कि इस वक्त बिहार में खेती का सीजन चल रहा है. लोग खेतों में व्यस्त हैं और कई जिलों में बाढ़ की स्थिति बनी रहती है. ऐसे समय में लोगों को कागजों के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर कटवाना ठीक नहीं है.उन्होंने आयोग की ऑनलाइन फॉर्म भरने की सुविधा पर भी सवाल उठाया था. कहा, “बिहार में बहुत से लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं. वे रोजगार के लिए बाहर जाते हैं और मुश्किल हालात में जीते हैं. ऐसे लोग ऑनलाइन फॉर्म कैसे भरेंगे?
