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गैंगस्टर हत्याकांड- पटना का डॉन बनना चाहता था तौसीफ,जुए में 20 लाख हारने पर ली सुपारी

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गैंगस्टर हत्याकांड- पटना का डॉन बनना चाहता था तौसीफ,जुए में 20 लाख हारने पर ली सुपारी.

गैंगस्टर चन्दन मिश्रा हत्याकांड के मेन शूटर तौसिफ उर्फ़ बादशाह ने पूछताछ के दौरान कई बड़े खुलासे किये हैं.पुलिस के अनुसार तौसिफ ने खुलासा किया है कि बिहार में ऑनलाइन जुआ खेलने का रैकेट बड़े पैमाने पर चल रहा है.ऑनलाइन जुए में 20 लाख रुपए हारने के बाद ही उसने हत्या के लिए सुपारी ली.गैंगस्टर चंदन मिश्रा हत्याकांड में पटना पुलिस बेऊर जेल से तौसीफ उर्फ बादशाह को रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है.बुधवार को भी पुलिस ने तौसीफ से चंदन हत्याकांड से जुड़े कई सवाल पूछे. तौसीफ सवालों का जवाब देने के दौरान कई बार फूट-फूटकर रोने लगा. अब तक की पूछताछ में तौसीफ ने बताया कि, वो ऑनलाइन जुए में 20 लाख रुपए हार चुका था. इसलिए वो मर्डर करने को तैयार हो गया.

तौसीफ मौसेरे भाई निशु खान के जरिए शेरू सिंह के संपर्क में आया था. सुपारी के रुपए की डील शेरू और निशु के बीच हुई थी. सभी शूटर्स को हत्या के एवज में 5-5 लाख रुपए मिलने वाले थे. जो घटना के बाद नहीं मिले.जेल में शेरू और निशु के बीच मुलाकात हुई थी. इसी दौरान दोनों ने नंबर एक्सचेंज किए थे. हाल के दिनों में निशु की आर्थिक स्थिति खराब चल रही थी. वो हाजीपुर/वैशाली इलाके के होटल को बेचना चाहता था.निशु को ढंग के खरीदार नहीं मिल रहे थे. इसके लिए उसने शेरू सिंह से संपर्क किया. शेरू से इसी दौरान बातचीत बढ़ी. इसी बीच चंदन को पैरोल मिल गई. चंदन को ठिकाने लगाने के लिए शेरू ने निशु से बात की. निशु ने भी हामी भर दी. निशु के घर पर ही सारी साजिश रची गई और सभी ने मिलकर घटना को अंजाम दे दिया.

सूत्रों के मुताबिक, मर्डर करने के बाद सभी अपराधी कोलकाता गए. वहां दो कमरे निशु की महिला मित्र ने बुक कराया. एक रूम में तौसीफ और निशु के दो केयर टेकर ठहरे और दूसरे रूम में निशु अपनी महिला मित्र के साथ ठहरा था. निशु ने महिला मित्र के बारे में पुलिस को बताया कि 3 महीने पहले इंस्टाग्राम के जरिए दोस्ती हुई थी.इसी बीच दोस्ती प्यार में बदल गई. निशु ने ही जिद कर के क्वालिटी टाइम स्पेंड करने के लिए उसे कोलकाता बुलाया. महिला मित्र ही इन सभी आरोपियों पर रुपए खर्च कर रही थी.

पुलिस के मुताबिक अब तक 9 लोगों की संलिप्तता सामने आई है. 7 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. अन्य लोगों की भूमिका संदिग्ध है, जिसकी छानबीन चल रही है.वारदात को अंजाम देने के वक्त तौसीफ नशे में था. वो फ्रंट गेट से एंट्री करने लगा, लेकिन वहां गार्ड ने उसे रोक दिया.इसके बाद वो पीछे की गेट से अपने साथियों के साथ अस्पताल में घुसा. उस गेट पर गार्ड मौजूद नहीं थे. अंदर घुसने के बाद चंदन मिश्रा के वार्ड तक जाने का तौसीफ रास्त भटक गया.फिर तौसीफ ने हॉस्पिटल में काम करने वाले एक कर्मी को फोन किया. जो पहले से तौसीफ को जनता था. उससे तौसीफ ने झूठ बोलकर चंदन के बारे में पूछा.तौसीफ ने अस्पताल के कर्मी से कहा कि उसके दोस्त के चाचा पारस में एडमिट हैं. उनका नाम चंदन मिश्रा है. किस रूम में एडमिट हैं, भाई जरा बताओ.

अस्पताल के कर्मी ने उसे कंप्यूटर पर देखकर चंदन का कमरा नंबर बता दिया. इसके बाद भी तौसीफ चंदन मिश्रा का कमरा नहीं ढूंढ पाया.तौसीफ ने फिर से अस्पताल के उसी स्टॉफ को फोन किया और उसे सेकेंड फ्लोर पर बुलाया. चंदन के कमरे (209) तक जाने का रास्ता पूछने के बाद तौसीफ अपने साथियों के साथ कमरे की तरफ जाने लगा और स्टाफ नीचे चला गया.तौसीफ ने वारदात को अंजाम दिया और अपने साथियों के साथ मेन गेट से भाग निकला.घटना के बाद तौसीफ जब कोलकाता पहुंचा तो उसकी निगाह बिहार की खबरों पर थी. घटना की अपडेट ले रहा था. इसी बीच उसे अपना फुटेज दिखा. इसके फौरन बाद वो पास के सैलून में गया और पुलिस से बचने के लिए अपना क्लीन शेव कराकर अपना हुलिया बदलने की कोशिश की.ताकि अगर पटना पुलिस फोटो कोलकाता पुलिस काे भेजती है ताे पहचान में न आ सके. तौसीफ पटना का डॉन बनना चाहता था.

चंदन मिश्रा की हत्या के बाद सबका CCTV फुटेज सामने आ गया था. सबसे आगे तौसीफ था. तीसरे नंबर पर बलवंत और सबसे आखिर में रविरंजन था. अस्पताल के बाहर जाे हेलमेट पहने हुए था वही अभिषेक है.बलवंत शूटरों को लेकर पारस अस्पताल पहुंचा था और वह शेरू सिंह के संपर्क में था. शूटर्स काे उसने 10 पिस्टल दी थी. बलवंत ने चंदन के करीबियों काे भी मिला लिया था ताकि उसके बारे में सटीक जानकारी मिल सके.बलवंत को पता था कि तौसीफ को पारस अस्पताल के बारे में पूरी जानकारी है. इसलिए तौसीफ काे शामिल किया गया.

निशु खान पारस अस्पताल के बगल में ही समनपुरा में रहता है. गर्लफ्रेंड के विवाद में उसे अक्टूबर 2023 में गाेली मारी गई थी. रीढ़ की हड्डी में गाेली लगने से वह लकवाग्रस्त हाे गया था. वह चल नहीं सकता है.पारस में ही उसका इलाज चला था. तौसीफ काे भी एक बार हाथ में गाेली लगी थी. वह भी इसी अस्पताल में एडमिट हुआ था. तौसीफ मरीज काे इस अस्पताल में मेडिक्लेम भी कराता था.

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