बिहार में सरकारी नौकरी परीक्षाओं में हाई-टेक धांधली का भंडाफोड़: गंजी-चप्पल में डिवाइस लगाकर चोरी
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बिहार में सरकारी नौकरियों और बिहार पुलिस की परीक्षाओं में हाई-टेक तरीके से नकल और सेटिंग कराने वाले एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। पटना पुलिस ने पूर्वी एसपी परिचय कुमार के नेतृत्व में इस बड़े रैकेट का खुलासा किया है। इस दौरान गंजी और चप्पल में फिट किए गए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भारी मात्रा में बरामद किए गए हैं, जिनका इस्तेमाल परीक्षाओं में धोखाधड़ी के लिए किया जाता था।
गिरोह के तीन शातिर गिरफ्तार, कई चौंकाने वाले खुलासे
इस मामले में अभी तक की जांच में पता चला है कि यह एक बहुत बड़ा संगठित गिरोह है, जो पूरे बिहार में सरकारी नौकरी परीक्षाओं में सेटिंग करता है। इस गिरोह ने हाल ही में 20 जुलाई को हुई बिहार पुलिस परीक्षा में भी बड़े पैमाने पर धांधली का प्रयास किया था।
पूर्वी एसपी परिचय कुमार ने बताया कि इस गिरोह के तीन शातिरों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें समस्तीपुर के पटौरी थाना क्षेत्र के भौआ का रहने वाला 29 वर्षीय विपिन बिहारी, अगमकुआं थाना क्षेत्र के कुम्हरार स्थित नयाटोला निवासी 42 वर्षीय अभिषेक कुमार और गर्दनीबाग के चितकोहरा स्थित शिवपुरी निवासी 23 वर्षीय राहुल कुमार शामिल हैं। इससे पहले, 19 जुलाई को पटना पुलिस ने रामकृष्णानगर थाना क्षेत्र के जगनपुरा स्थित एक फ्लैट से नालंदा के प्रेम प्रकाश पटेल और जमुई के सुबोध यादव नामक दो सेटरों को गिरफ्तार किया था। इन दोनों की निशानदेही पर ही आगे की कार्रवाई की गई।
इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और वॉकी-टॉकी का जखीरा बरामद
सिटी एसपी पूर्वी ने बताया कि गिरफ्तार अभिषेक कुमार कुम्हरार में एक इलेक्ट्रॉनिक दुकान चलाता था, जहां कपड़ों, चप्पलों और अन्य जगहों पर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस फिक्स किए जाते थे। अभिषेक वॉकी-टॉकी भी बनाता है। छापेमारी के दौरान दुकान से कई वॉकी-टॉकी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान बरामद हुए हैं।
अभिषेक ने पूछताछ में गर्दनीबाग में किराए के मकान में रह रहे विपिन बिहारी का ठिकाना बताया। वहां छापेमारी में कई उम्मीदवारों के मूल दस्तावेज और वॉकी-टॉकी भी मिले। गिरफ्तार राहुल कुमार के घर से भी इलेक्ट्रॉनिक सामान और बिहार पुलिस परीक्षा से संबंधित दस्तावेज जब्त किए गए।
6 लाख में नौकरी का सौदा, मूल दस्तावेज गिरवी
गिरफ्तार सेटरों ने खुलासा किया है कि यह गिरोह बिहार पुलिस में नौकरी दिलाने के नाम पर 6 लाख रुपये की मांग करता था। इसमें 2 लाख रुपये एडवांस लिए जाते थे, और बाकी राशि नौकरी लगने के बाद देने को कहा जाता था। अभ्यर्थियों से पैसे देने से न मुकरने के लिए उनके असली दस्तावेज (सर्टिफिकेट) गिरवी रख लिए जाते थे, ताकि वेरिफिकेशन के समय उन्हें पूरा पैसा देकर अपने दस्तावेज वापस मिल सकें।
हजारों अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट बरामद, नोटिस भेजकर होगी पूछताछ
पुलिस ने छापेमारी में 100 से अधिक अभ्यर्थियों के मूल सर्टिफिकेट और एडमिट कार्ड बरामद किए हैं। इन दस्तावेजों में बिहार पुलिस के अलावा कई अन्य सरकारी परीक्षाओं के दस्तावेज भी शामिल हैं। पूर्वी एसपी ने बताया कि इन सभी दस्तावेजों को संबंधित सरकारी परीक्षा एजेंसियों को भेज दिया गया है, ताकि पूर्व में हुई या भविष्य में होने वाली परीक्षाओं में इनकी जांच की जा सके।
जिन अभ्यर्थियों के दस्तावेज मिले हैं, उन्हें नोटिस भेजा जाएगा और उनसे पूछताछ की जाएगी कि उनके असली दस्तावेज इन अपराधियों के पास कैसे पहुंचे। यदि वे संतोषजनक जवाब नहीं दे पाते हैं, तो उनके खिलाफ भी मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस ने बताया कि पूछताछ में गिरफ्तार सेटरों ने गिरोह के कई अन्य शातिरों के नाम बताए हैं और मुख्य सरगना की पहचान भी हो गई है, जिसकी गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है। बरामद सामानों में तीन लैपटॉप, दो चार्जर, 44 वॉकी-टॉकी, 42 वॉकी-टॉकी एरियल, 10 स्मार्ट फोन, 5 जीएसएम बॉक्स, 4 एटीएम कार्ड, 2 हॉट गन मशीन, तार, बैटरी, 69 एयरबैग, तीन चेकबुक, पासबुक, टेप, गंजी में लगा हुआ डिवाइस व तार शामिल हैं।
यह खुलासा बिहार में सरकारी नौकरी परीक्षाओं की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है और दर्शाता है कि किस तरह संगठित गिरोह हाई-टेक तरीकों का इस्तेमाल कर युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।