
बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ राज्य सरकार की मुहिम लगातार जारी है। इसी कड़ी में, मद्य निषेध विभाग में पदस्थापित डीएसपी अभय प्रसाद यादव पर आय से अधिक संपत्ति मामले में स्पेशल विजिलेंस यूनिट (SVU) ने आज एक बड़ी छापेमारी की। चौंकाने वाली बात यह है कि अभय प्रसाद यादव वही अधिकारी हैं जिन्हें एक समय में नक्सलियों ने अगवा कर लिया था। अब उनके “किले जैसे घर” पर हुई इस छापेमारी ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि उनके पास यह अकूत दौलत कहां से आई।
पटना और खगड़िया में SVU का धावा
बिहार में सुशासन की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी कार्रवाई को और तेज़ कर दिया है। ताजा मामला मद्य निषेध विभाग के डीएसपी अभय प्रसाद यादव से जुड़ा है, जिनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के पुख्ता सबूत मिलने के बाद यह बड़ी छापेमारी की गई। कोर्ट से विधिवत सर्च वारंट प्राप्त करने के बाद, विजिलेंस टीम ने गुरुवार की सुबह पटना और खगड़िया, दोनों जगहों पर स्थित डीएसपी के आवासों पर एक साथ धावा बोला।
निगरानी विभाग की टीम ने डीएसपी अभय प्रसाद यादव के खगड़िया स्थित आवास, जो चित्रगुप्त नगर के कृष्णानगर मोहल्ले में है, पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया। सुबह शुरू हुई यह रेड दो घंटे से अधिक समय तक लगातार जारी रही। इस दौरान घर के अंदर और बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी और किसी भी बाहरी व्यक्ति को घर में आने-जाने की इजाजत नहीं थी। पटना स्थित आवास पर भी समानांतर रूप से तलाशी अभियान चलाया गया। यह कार्रवाई राज्य में फैले भ्रष्टाचार के नेटवर्क को तोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
जब्त किए गए अहम दस्तावेज: खुल सकती हैं और परतें
छापेमारी के दौरान, स्पेशल विजिलेंस यूनिट की टीम ने डीएसपी अभय प्रसाद यादव के आवासों से कई अहम दस्तावेज जब्त किए हैं। इनमें संपत्ति से जुड़े कागज़ात, विभिन्न बैंकों के स्टेटमेंट, जमीन-जायदाद के विवरण और कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, इन दस्तावेजों की प्रारंभिक जांच में ही कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं जो डीएसपी की घोषित आय से कहीं अधिक हैं, जिससे उनकी आय से अधिक संपत्ति का मामला और मजबूत होता दिख रहा है। अब इन सभी जब्तशुदा सामग्रियों की फॉरेंसिक और गहन आर्थिक जांच की जाएगी ताकि वित्तीय अनियमितताओं की पूरी तस्वीर सामने आ सके। यह छापेमारी बिहार सरकार की ‘भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस’ की नीति का स्पष्ट प्रमाण है। सरकार लगातार ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है जो अपनी पद का दुरुपयोग कर अवैध तरीके से संपत्ति अर्जित कर रहे हैं।
डीएसपी की पृष्ठभूमि और आगे की कार्रवाई
यह बताना महत्वपूर्ण है कि अभय प्रसाद यादव 1994 बैच के दारोगा रह चुके हैं। उनकी पृष्ठभूमि में एक घटना यह भी शामिल है कि मुंगेर जिला के कजरा थाना में ड्यूटी के दौरान उन्हें नक्सलियों ने अपहरण कर लिया था, जिसके बाद काफी प्रयासों से उन्हें नक्सलियों के चंगुल से छुड़ाया गया था। उनकी यह पृष्ठभूमि भी अब इस नए मामले की जांच में प्रासंगिक हो सकती है, क्योंकि अधिकारी के जीवन का यह पहलू भी उनके वित्तीय विकास के साथ कई सवाल खड़े कर सकता है।
फिलहाल, निगरानी विभाग की टीम इस मामले में कोई भी आधिकारिक जानकारी देने से इनकार कर रही है, क्योंकि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है। डीएसपी अभय प्रसाद यादव के खिलाफ आगे भी गहन पूछताछ और उनकी संपत्तियों की विस्तृत जांच की प्रक्रिया जारी रहेगी। यह कार्रवाई बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत संदेश देती है और यह दर्शाती है कि कानून की नजर में कोई भी अपने पद या रुतबे के कारण बच नहीं सकता।
