
2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जिस तरह का कमाल आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने दिखाया था, उसे 2025 के चुनाव में वो दुहरा सकते हैं. 2025 के चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण को लेकर दिए गये बयान को आधार बनाकर लालू यादव ने आरक्षण को बड़ा चुनावी मुद्दा बना दिया था.इसबार संगठन के सह-महासचिव दत्तात्रेय होसबोले के बयानों को लालू प्रसाद यादव ने ब्रह्मास्त्र की तरह भुनाने की कोशिश शुरू कर दी है.
होसबोले के हालिया बयान में संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने की बात कही गई, जिसके बाद लालू यादव ने तीखा हमला बोला.लालू यादव ने सोशल मीडिया मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट शेयर कर लिखा- “देश के सबसे बड़े जातिवादी और नफरती संगठन RSS ने संविधान बदलने की बात कही है. इनकी इतनी हिम्मत नहीं कि संविधान और आरक्षण की तरफ आंख उठाकर देख सके. अन्यायी चरित्र के लोगों के मन व विचार में लोकतंत्र एवं बाबा साहेब के संविधान के प्रति इतनी घृणा क्यों है?”
लालू का यह हमला बिहार की सियासत में नया मोड़ ला सकता है, क्योंकि RSS और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ उनकी रणनीति हमेशा से संविधान और आरक्षण जैसे मुद्दों पर केंद्रित रही है. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में मोहन भागवत के आरक्षण नीति की समीक्षा वाले बयान को लालू ने खूब भुनाया था, जिसका फायदा महागठबंधन को मिला था. तब राजद-जदयू-कांग्रेस गठबंधन ने 178 सीटें जीतकर BJP को 53 सीटों पर समेट दिया था. इस बार भी लालू और उनके बेटे तेजस्वी यादव RSS के बयानों को मुद्दा बनाकर OBC, SC, और मुस्लिम वोटरों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं.
होसबोले के बयान ने विपक्ष को एक बार फिर RSS और BJP पर हमला करने का मौका दे दिया है. X पर कई नेताओं ने इस मुद्दे को उठाया, जिसमें कांग्रेस नेता टी.एस. सिंहदेव और उदित राज ने भी RSS पर संविधान विरोधी रवैये का आरोप लगाया. लालू ने इसे “जातिवादी और नफरती” करार देते हुए बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान की रक्षा का नारा बुलंद किया. बिहार में जहां जातीय जनगणना और आरक्षण जैसे मुद्दे पहले से ही गर्म हैं, वहां यह बयान महागठबंधन के लिए सियासी हथियार बन सकता है.
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले यह विवाद महागठबंधन और NDA के बीच जंग को और तीखा कर सकता है. तेजस्वी यादव पहले ही नीतीश सरकार पर बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था को लेकर हमलावर हैं. उनकी ‘कमाई, दवाई, पढ़ाई’ योजना को युवाओं में समर्थन मिल रहा है. दूसरी ओर, नीतीश कुमार और BJP ने 299 नई बसों और विशेष ट्रेनों की घोषणा कर त्योहारी सीजन में प्रवासियों को लुभाने की कोशिश की है.
