
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने पटना में तैनात एक शीर्ष भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी, जो कस्टम कैडर से हैं, के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। यह कार्रवाई लगभग 100 करोड़ रुपये के फर्जी जीएसटी रिफंड दावों से जुड़े एक व्यापक घोटाले के संबंध में की गई है। सीबीआई ने पटना के तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर कस्टम्स सहित 29 अन्य लोगों के खिलाफ छापेमारी की है, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाने वाले एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है।
यह मामला फर्जी एक्सपोर्ट बिलों से संबंधित है, जिसमें टाइल्स और ऑटोमोबाइल पार्ट्स के जाली निर्यात को दिखाकर जीएसटी कार्यालयों से धोखाधड़ी से रिफंड प्राप्त करने या कर छूट का दावा करने का प्रयास किया गया था। सीबीआई की टीमें बिहार और झारखंड के कुल 7 ठिकानों पर एक साथ सक्रिय हुईं, जिनमें पटना में 2, पूर्णिया में 2, जमशेदपुर, नालंदा और मुंगेर में एक-एक ठिकाना शामिल है।
सीबीआई की FIR के अनुसार, इस घोटाले की जड़ में आपराधिक साजिश है, जिसमें भीमनगर LCS (लैंड कस्टम्स स्टेशन) में तैनात तत्कालीन अधीक्षक, जयनगर LCS में तैनात तत्कालीन अधीक्षक (जो वर्तमान में सहायक आयुक्त, कस्टम्स हैं) और पटना के तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त, कस्टम्स मुख्य भूमिका में थे। इन अधिकारियों ने कुछ निजी व्यक्तियों (जी-कार्ड धारक), निर्यातक कंपनियों और 23 आयातक कंपनियों के साथ मिलकर फर्जी तरीके से निर्यात दिखाया। इनका मुख्य मकसद अपने पद का दुरुपयोग करते हुए निजी लाभ के लिए रिश्वत या अन्य अनुचित लाभ प्राप्त करना था। इस बड़े पैमाने के फर्जीवाड़े से सरकार को अनुमानित 100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
सीबीआई की इस सघन छापेमारी के दौरान कई महत्वपूर्ण चीजें बरामद की गई हैं, जिनमें 100-100 ग्राम की 07 सोने की ईंटें (कुल 700 ग्राम), कई आपत्तिजनक दस्तावेज, मोबाइल फोन और अन्य डिजिटल सबूत शामिल हैं। ये बरामदगियां इस धोखाधड़ी के पैमाने और इसमें शामिल व्यक्तियों के संदिग्ध आचरण को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं।
हालांकि सीबीआई ने अभी तक इस मामले में किसी गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं की है, लेकिन जांच अभी भी जारी है। जांच एजेंसी इस पूरे नेटवर्क में शामिल अधिकारियों, निजी व्यक्तियों और कंपनियों की भूमिका की गहराई से पड़ताल कर रही है। आने वाले समय में इस मामले में और भी खुलासे होने की संभावना है, जिससे इस बड़े जीएसटी घोटाले में शामिल सभी चेहरों का पर्दाफाश हो सकेगा।
यह कार्रवाई दर्शाती है कि सरकार भ्रष्टाचार और आर्थिक अपराधों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है, और किसी भी स्तर पर अनियमितताओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सीबीआई की यह लगातार चल रही जांच देश में आर्थिक धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।