बिहार

बिहार में गोपालगंज के सिधवलिया थाना के दरोगा की रंगदारी निर्दोष बुजुर्ग को गिरफ्तार कर पहुंचा दिया कोर्ट

बिहार,गोपालगंज

बिहार में गोपालगंज के सिधवलिया थाना के दरोगा की रंगदारी निर्दोष बुजुर्ग को गिरफ्तार कर पहुंचा दिया कोर्ट

गोपालगंज के सिधवलिया थाने की पुलिस की लापरवाही और गैर-जिम्मेदारी की शर्मनाक घटना सामने आई है, जिसने एक 66 वर्षीय निर्दोष वृद्ध की जिंदगी मुश्किल में डाल दी। दरोगा धीरज कुमार ने शुक्रवार की आधी रात को एक बुजुर्ग को बिना जांच-पड़ताल के गिरफ्तार कर लिया और पूरे दिन उसे थाने में बंद रखा। इस दौरान मच्छरों ने उसे काट-खोखा कर रखा, बावजूद इसके वृद्ध की बेगुनाही पुलिस नहीं सुनना चाहती थी। जब वृद्ध ने अपनी निर्दोषिता जताई, तो पुलिस वालों ने गाली-गलौज और डंडे के भय से उसकी आवाज दबा दी।

अगले दिन जब वृद्ध के परिजन थाना पहुंचे और उसकी निर्दोषिता बताई, तो पुलिस ने उनके साथ भी बुरा बर्ताव किया और उन्हें धमकाते हुए वहां से भगा दिया। पुलिस का तर्क था कि इस मामले में जो कहना होगा, कोर्ट में जाकर कहो, यहां कोई सुनने वाला नहीं है। दरअसल सिधवलिया थाना क्षेत्र के हसनपुर अहिर टोली गांव के सुरेंद्र यादव पिता घरभरन यादव पर सड़क हादसे में एक व्यक्ति के मौत को लेकर मुकदमा दर्ज था और इसी में न्यायालय से वारंट निर्गत हुआ था, और सिधवलिया पुलिस ने इसी गांव के सुरेंद्र यादव पिता इंद्रासन यादव को गिरफ्तार कर लिया और बिना जांच पड़ताल किए बिना पीड़ित की बात को सुने, बिना कोई साक्ष का सत्यापन किए पुलिस ने निर्दोष सुरेंद्र यादव पिता इंद्रासन यादव को लगभग 12 घंटे तक प्रताड़ित किया ,आधी रात को घर से उठाया और अदालत में हाजिर करने तक बात पहुंच गई निर्दोष वृद्ध व्यक्ति के हाथों में हथकड़ी लगाए सिधवलिया पुलिस के सिपाही अदालत के दरवाजे पर घंटों उसे लेकर बैठे रहे, और पीड़ित कहता रहा कि हम निर्दोष हैं जिसके नाम से वारंट है वह व्यक्ति मैं नहीं बल्कि मेरे ही पड़ोस का कोई और व्यक्ति है।

कोर्ट के बाहर सुरेंद्र यादव लगातार अपनी निर्दोषिता जताता रहा और आधार कार्ड भी दिखाता रहा, लेकिन पुलिस के रंगदार दरोगा के सामने उसकी एक न चली । जेल भेजने की तैयारी के बीच मीडिया कर्मियों के पहुंचने पर मामला उजागर हुआ। मीडिया की जांच-पड़ताल से पुलिस की गलती सामने आई। थानाध्यक्ष धीरज कुमार भी वीडियो बनाने के दौरान कोर्ट में पहुंचे और अपनी गलती स्वीकार कर 3 बजे रिहा कर दिया।

सुरेंद्र यादव ने मीडिया से बातचीत में पूरी कहानी बताई और कहा कि पुलिस की लापरवाही के कारण उसे कितना मानसिक और शारीरिक कष्ट झेलना पड़ा। यह घटना पुलिस की बड़ी लापरवाही, प्रशासनिक ढुलमुल रवैये और निर्दोष लोगों के साथ अन्याय की ओर एक गंभीर चेतावनी है। ऐसी घटनाएं न केवल आम जनता के लिए भय पैदा करती हैं, बल्कि न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाती हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!