
मुंगेर, बिहार – मुंगेर नगर निगम की सामान्य बोर्ड बैठक में बुधवार को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए ₹3 अरब 55 करोड़ 57 लाख 85 हजार 495 रुपये का बजट पेश किया गया, जिसे महज पांच मिनट में बिना किसी चर्चा के पारित कर दिया गया। इस बजट में ₹5.40 लाख का मुनाफा दिखाया गया है, लेकिन बैठक की प्रक्रिया और पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
बिना बहस के बजट पारित, डिप्टी मेयर रहे अनुपस्थित : बैठक की अध्यक्षता नगर निगम की महापौर कुमकुम देवी ने की और संचालन उप नगर आयुक्त हेमंत कुमार ने किया। वार्ड 26 के पार्षद एवं सशक्त स्थायी समिति सदस्य सुजीत पोद्दार द्वारा बजट प्रस्ताव रखा गया, जिसे बोर्ड ने बिना बहस, संशोधन या किसी सवाल के पारित कर दिया। बैठक में लगभग आधे पार्षद अनुपस्थित थे, वहीं डिप्टी मेयर खालिद हुसैन की भी गैरमौजूदगी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
भाजपा विधायक ने बताया त्रुटिपूर्ण, बुडको पर लगाए फर्जीवाड़े के आरोप : मुंगेर विधायक प्रेम रंजन पटेल, जो बैठक में देर से पहुंचे, ने बजट पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इसमें कई गंभीर खामियां हैं। उन्होंने कहा, “बजट में कर संग्रह के स्पष्ट लक्ष्य और नीति का अभाव है, जबकि जनता पर अनावश्यक कर बोझ डाल दिया गया है।”
उन्होंने बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड (बुडको) पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि नल-जल योजना के अंतर्गत जारी आंकड़े फर्जी हैं और अभी तक कई घरों तक पानी नहीं पहुंचा है। उन्होंने इस पूरे मामले की जांच की मांग की।
“जनता पर करों का बोझ, लेकिन योजनाओं में पारदर्शिता नहीं” : विधायक ने बजट में शामिल कर मुद्दों पर भी सवाल उठाए, जैसे कि मनोरंजन कर, विवाह भवन कर, आदि में अत्यधिक कर संग्रह लक्ष्य। उन्होंने कहा कि इससे आम लोगों पर बोझ बढ़ेगा, जबकि कई जरूरी मुद्दों पर कोई ठोस योजना नहीं है।
उन्होंने राजा रानी तालाब से ₹2.5 लाख कर संग्रह लक्ष्य रखे जाने के बावजूद मात्र ₹50,000 की आय दर्शाने पर भी नाराज़गी जताई।
महापौर कुमकुम देवी ने कहा कि बजट में पार्कों के सौंदर्यीकरण, डीलक्स शौचालय, और महिलाओं के लिए पिंक बस सेवा जैसी कई नई योजनाएं शामिल की गई हैं। उन्होंने दावा किया कि बजट में जनता की जरूरतों और सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा गया है।
हालांकि, विधायक ने कहा कि जब तक फुटपाथ अतिक्रमण मुक्त नहीं कराए जाते, तब तक सड़कों पर डिवाइडर लगाने जैसी योजनाएं आधी-अधूरी साबित होंगी। उन्होंने नगर प्रशासन से अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की
