
बिहार के गोपालगंज जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की खस्ताहाल तस्वीर एक बार फिर सामने आई है। सदर विधायक सुभाष सिंह के मॉडल सदर अस्पताल के अचानक किए गए औचक निरीक्षण (Surprise Inspection) ने अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर दिया। विधानसभा सत्र समाप्त होते ही विधायक बिना किसी पूर्व सूचना के अस्पताल पहुंचे, जिससे वहां मौजूद अधिकारियों और कर्मचारियों में हड़कंप मच गया।
विधायक सुभाष सिंह सीधे इमरजेंसी वार्ड में दाखिल हुए, जहां निरीक्षण के दौरान अस्पताल की गंभीर लापरवाही खुलकर सामने आ गई। वार्ड में ड्यूटी पर तैनात कई डॉक्टर गायब मिले। मरीजों की गंभीर स्थिति वाले इस अति-महत्वपूर्ण वार्ड से डॉक्टरों की अनुपस्थिति देखकर विधायक ने गहरा संतोष व्यक्त किया। उन्होंने मौके पर मौजूद अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाते हुए स्पष्ट किया कि इमरजेंसी जैसी सेवा में डॉक्टरों का उपस्थित न रहना घोर उदासीनता है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
गायब डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश, वसूली रोकने की चेतावनी
विधायक सुभाष सिंह ने तत्काल सिविल सर्जन को इस मामले में कार्रवाई करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि ड्यूटी से गायब रहने वाले डॉक्टरों के खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई भी कर्मी या डॉक्टर इतनी बड़ी लापरवाही न दिखाए। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा, “स्वास्थ्य सेवा सीधे लोगों के जीवन से जुड़ी है। यहां किसी भी तरह की ढिलाई या उदासीनता की कोई गुंजाइश नहीं है।”
निरीक्षण के दौरान एक और गंभीर अनियमितता सामने आई, जिसने विधायक को और अधिक नाराज़ कर दिया। मरीजों और उनके परिजनों ने शिकायत की कि ब्लड जांच और अन्य परीक्षणों के नाम पर उनसे अवैध वसूली की जा रही है, जबकि सरकारी अस्पताल में ये सभी मूलभूत सुविधाएं निःशुल्क प्रदान की जानी चाहिए। इस भ्रष्टाचार पर विधायक का पारा चढ़ गया। उन्होंने अधिकारियों को डांटते हुए कहा कि गरीब और जरूरतमंद लोग इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों पर निर्भर होते हैं, और उनसे धन उगाही करना भ्रष्टाचार का घिनौना रूप है, जिसे कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा।
भ्रष्टाचार पर ‘जीरो टॉलरेंस’: जनता की सेवा सर्वोच्च प्राथमिकता
विधायक सुभाष सिंह ने साफ शब्दों में चेतावनी दी, “स्वास्थ्य सेवा में लापरवाही या भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जनता की सेवा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है, और इसमें किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा।”
विधायक के इस अचानक निरीक्षण के बाद सदर अस्पताल प्रशासन में खलबली मची हुई है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कई डॉक्टरों और अस्पताल कर्मियों पर गाज गिर सकती है। यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार के लिए कड़े और निर्णायक कदमों की आवश्यकता है। स्थानीय लोगों ने विधायक के इस कदम की सराहना की है और उम्मीद जताई है कि इससे स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता आएगी और आम आदमी का भरोसा सरकारी अस्पतालों पर फिर से कायम हो सकेगा।

