
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में रोज़गार और पलायन को लेकर उठे सवालों पर अब नई राज्य सरकार ठोस कार्रवाई करती दिख रही है। औद्योगिक विकास को गति देने की दिशा में मुजफ्फरपुर जिले में बेला और मोतीपुर के बाद पारू में तीसरे बड़े औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना की प्रक्रिया तेज़ कर दी गई है। प्रस्तावित परियोजना के तहत लगभग 700 एकड़ भूमि के अधिग्रहण की तैयारी है, जिसके लिए जिला भूमि अधिग्रहण कार्यालय को औपचारिक सूचना भेजी जा चुकी है और प्रस्ताव फिलहाल तकनीकी जांच के दौर से गुजर रहा है।
प्रस्तावित पारू औद्योगिक क्षेत्र के लिए चिन्हित भूमि भूखंडों की न्यूनतम मूल्य दर (एमवीआर) तय करने हेतु जल्द ही एक विशेष समिति का गठन किया जाएगा। राज्य मंत्रिमंडल से स्वीकृति मिलने के बाद उद्योग विभाग भूमि मुआवज़ा वितरण की प्रक्रिया शुरू करेगा। अधिकारियों के अनुसार ज़मीन की प्रकृति, उपयोग और मूल्यांकन का विस्तृत आकलन किया जा रहा है, साथ ही कुल व्यय का अनुमान भी तैयार किया जा रहा है। इसके पश्चात रैयतों को मुआवज़ा दिया जाएगा, जिसमें लगभग दो से तीन महीने का समय लगने की संभावना है। दरअसल, योजना के तहत पारू प्रखंड के चैनपुर चिउटाहां (250 एकड़), चतुरपट्टी (150 एकड़), हरपुर (120 एकड़) और विशुनपुर सरैया (85 एकड़) गांवों में कुल 700 एकड़ भूमि अधिग्रहण का प्रस्ताव है। गांव-वार मांगपत्र जारी कर दिए गए हैं और तकनीकी आपत्तियों के अभाव में परियोजना को आगे बढ़ाया जाएगा। यह औद्योगिक क्षेत्र बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (बियाडा) द्वारा विकसित किया जाएगा। निर्माणाधीन पटना-बेतिया फोर लेन और प्रस्तावित हाजीपुर-सुगौली रेलवे लाइन के निकट होने से क्षेत्र को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी, जिससे परिवहन सुगम होगा और निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है।
अधिकारियों के अनुसार, प्रस्तावित औद्योगिक क्षेत्र में शुरुआती चरण में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को प्राथमिकता दी जाएगी। सरकार को उम्मीद है कि पारू औद्योगिक क्षेत्र न केवल स्थानीय कृषि आधारित संसाधनों को उद्योग से जोड़कर क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा, बल्कि बड़े पैमाने पर रोज़गार सृजन कर राज्य की पुरानी समस्या पलायन पर भी प्रभावी अंकुश लगाने में अहम भूमिका निभाएगा।