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मुजफ्फरपुर: गरीबी की बलि चढ़ीं तीन बेटियां, मौत की डायरी में बेटों के लिए हुआ ‘कुदरत का करिश्मा’

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बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के सकरा थाना अंतर्गत नवलपुर मिश्रौलिया गांव में एक हृदयविदारक घटना सामने आई है। यहाँ कर्ज और गरीबी के बोझ तले दबे एक मजबूर पिता, अमरनाथ राम ने अपने पांच बच्चों के साथ आत्मघाती कदम उठाया। इस भयावह घटना में पिता और उसकी तीन बेटियों की मौत हो गई, लेकिन ‘कुदरत का करिश्मा’ कहें या संयोग, दो बेटों की जान चमत्कारिक रूप से बच गई।

गरीबी ने छीना घर का उजाला
अमरनाथ राम एक दिहाड़ी मजदूर था। बताया जा रहा है कि उसकी पत्नी लंबे समय से बीमार थी, जिसके इलाज के लिए उसने भारी कर्ज ले रखा था। पत्नी की मृत्यु के बाद अमरनाथ पर पांच बच्चों के पालन-पोषण और कर्ज चुकाने का भारी दबाव था। इसी हताशा में उसने एक ‘डेथ डायरी’ जैसी योजना बनाई और खुद के साथ पांचों बच्चों को फंदे पर लटका दिया।

वह ‘कमजोर रस्सी’ जो जिंदगी बन गई
ग्रामीणों और पुलिस जांच में जो बात सामने आई, वह रोंगटे खड़े कर देने वाली है। अमरनाथ ने सभी के लिए फंदे तैयार किए थे, लेकिन घर में रस्सियों की कमी थी। बेटियों के लिए उसने मजबूत रस्सियों का इंतजाम किया, लेकिन बेटों के लिए उपयोग की गई रस्सियां कमजोर रह गईं। जब पांचों बच्चे फंदे पर झूलकर छटपटाने लगे, तो दोनों बेटों की रस्सियां टूट गईं और उनके पैर जमीन से सट गए। अपनी आंखों के सामने पिता और तीन बहनों को दम तोड़ते देखना उन मासूमों के लिए किसी भयावह त्रासदी से कम नहीं था।

पुलिस और एफएसएल की जांच जारी
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और एफएसएल (FSL) की टीम मौके पर पहुंची। कमरे से साक्ष्य जुटाए गए हैं। शुरुआती जांच में पुलिस इसे खुदकुशी का मामला मान रही है। पुलिस का कहना है कि बेटों की रस्सी कमजोर होने के कारण वे मौत के मुंह से सुरक्षित बाहर आ सके। फिलहाल दोनों बच्चे सदमे में हैं और गांव में मातम पसरा हुआ है।

समाज के बीच यह चर्चा का विषय है कि गरीबी किस कदर इंसान को बेबस कर देती है कि वह अपने ही कलेजे के टुकड़ों का अंत करने पर उतारू हो जाता है।

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