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लैंड फॉर जॉब केस: लालू परिवार को कुछ और दिनों की मोहलत, आरोप गठन पर सुनवाई 15 दिसंबर तक टली

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लैंड फॉर जॉब केस: लालू परिवार को कुछ और दिनों की मोहलत, आरोप गठन पर सुनवाई 15 दिसंबर तक टली

रेलवे में कथित ‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाले मामले में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के परिवार को एक बार फिर कुछ दिनों की राहत मिली है। दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट में लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव सहित अन्य अभियुक्तों के खिलाफ आरोप (Charge) तय करने पर होने वाली सुनवाई को एक बार फिर टाल दिया गया है। अब इस बहुचर्चित मामले की सुनवाई आगामी 15 दिसंबर को होगी।

सीबीआई द्वारा दस्तावेज तैयार न करने पर टली सुनवाई
दरअसल, सीबीआई इस मामले में सभी अभियुक्तों से संबंधित आवश्यक दस्तावेजों की स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल नहीं कर सकी है। पिछली सुनवाई 10 दिसंबर को विशेष सीबीआई जज विशाल गोगने की कोर्ट में हुई थी। उस समय केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की तरफ से कोर्ट को बताया गया था कि इस मामले में कुल 103 आरोपी हैं, जिनमें से चार आरोपियों की दुर्भाग्यवश मृत्यु हो चुकी है। शेष अभियुक्तों के संबंध में सभी कानूनी दस्तावेज अभी तक पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाए हैं।

सीबीआई के अनुरोध पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई को 11 दिसंबर (गुरुवार) तक के लिए स्थगित कर दिया था। लेकिन गुरुवार को भी आरोप गठन पर सुनवाई नहीं हो पाई और कोर्ट ने एक बार फिर मामले की सुनवाई की अगली तारीख 15 दिसंबर तय कर दी। इस स्थगन के बाद लालू परिवार को लगभग पांच दिनों की और राहत मिल गई है।

क्या है लैंड फॉर जॉब केस?
सीबीआई ने इस मामले में लालू प्रसाद, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत कई अन्य लोगों के खिलाफ आरोपपत्र (Chargesheet) दाखिल किया है। जांच एजेंसी का आरोप है कि लालू प्रसाद यादव जब 2004 से 2009 के बीच केंद्रीय रेल मंत्री थे, तब उन्होंने रेलवे में ग्रुप-डी (Group-D) पदों पर नियमों के विपरीत नियुक्तियां की थीं। इन नियुक्तियों के बदले में, लालू परिवार से जुड़े व्यक्तियों के नाम पर या तो जमीनें उपहार में ली गईं या उन्हें औने-पौने दामों पर हस्तांतरित किया गया।

सीबीआई का दावा है कि ये सभी नियुक्तियां नियमों का उल्लंघन थीं और इस पूरे लेन-देन में बेनामी संपत्तियों का इस्तेमाल किया गया था, जो एक बड़ी आपराधिक साजिश का हिस्सा है। हालांकि, लालू परिवार सहित सभी आरोपी इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं। वे इन सभी जांचों और कानूनी कार्रवाइयों को राजनीति से प्रेरित और केंद्र सरकार की बदले की भावना से की गई कार्रवाई बताते रहे हैं।

मामले की सुनवाई के दौरान आरोप गठन एक महत्वपूर्ण चरण होता है, जिसके बाद ही ट्रायल शुरू होता है। अब सबकी निगाहें 15 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं।

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