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बिहार में माफियाराज पर ‘प्रहार’: 1600 अपराधियों की अवैध संपत्ति चिह्नित, 400 केस कोर्ट पहुंचे; अब AI से होगी बेनामी निवेश की पहचान

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बिहार में माफियाओं और संगठित अपराधियों के विरुद्ध नीतीश सरकार ने अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक अभियान छेड़ दिया है। गृह विभाग की सक्रियता के बाद राज्य में बालू, शराब और जमीन माफियाओं द्वारा अवैध रूप से अर्जित की गई संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने अब तक 1600 बड़े माफियाओं की पहचान की है, जिन्होंने अपराध की कमाई से अकूत संपत्ति खड़ी की है।

400 माफियाओं का ब्योरा कोर्ट में पेश
जांच एजेंसियों ने अपनी कार्रवाई को दस्तावेजी रूप देना शुरू कर दिया है। अब तक लगभग 400 माफियाओं की संपत्तियों का विस्तृत ब्योरा संबंधित न्यायालयों को सौंप दिया गया है। गृह विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इन अपराधियों ने न केवल बिहार के भीतर बल्कि राज्य के बाहर भी बड़े पैमाने पर निवेश किया है। संपत्तियों को जब्त करने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है ताकि अपराधियों को आर्थिक रूप से पंगु बनाया जा सके।

एआई (AI) और डेटा माइनिंग का सहारा
इस अभियान की सबसे खास बात तकनीक का इस्तेमाल है। माफिया अक्सर अपनी संपत्तियों को रिश्तेदारों या ‘बेनामी’ नामों से पंजीकृत कराते हैं। ऐसे नेटवर्क को तोड़ने के लिए बिहार पुलिस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद ले रही है। संदिग्ध व्यक्तियों के आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक ट्रांजैक्शन और आयकर रिटर्न (ITR) का मिलान किया जा रहा है। यदि किसी की संपत्ति उसके आय के स्रोत से मेल नहीं खाती, तो उसे तुरंत नोटिस जारी किया जा रहा है।

‘डबल इंजन’ सरकार का समन्वय
इस कार्रवाई में राज्य की एजेंसियों के साथ केंद्र सरकार की एजेंसियां जैसे प्रवर्तन निदेशालय (ED), सीबीआई (CBI) और आयकर विभाग भी कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। परिवहन विभाग से लग्जरी वाहनों का डेटा और निबंधन विभाग से फ्लैट व जमीन की रजिस्ट्री का ब्योरा जुटाया जा रहा है। संपत्तियों के सटीक मूल्यांकन के लिए भवन निर्माण और राजस्व विभाग के विशेषज्ञों की एक विशेष टीम गठित की गई है जो बाजार मूल्य (MVR) के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर रही है।

दूसरे राज्यों में भी फंदा कसने की तैयारी
जांच में खुलासा हुआ है कि कई माफियाओं ने कार्रवाई से बचने के लिए पड़ोसी राज्यों में निवेश किया है। ऐसे मामलों में संबंधित जिलों के डीएम और एसपी को जिम्मेदारी दी गई है कि वे दूसरे राज्यों के जिला प्रशासन से समन्वय स्थापित कर संपत्तियों का सत्यापन कराएं और जब्ती की कार्रवाई सुनिश्चित करें।

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