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बिहार में बढ़ सकती है बिजली की कीमतें, जानें बढ़ोतरी के पीछे का कारण…

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बिहार में बढ़ सकती है बिजली की कीमतें, जानें बढ़ोतरी के पीछे का कारण…

बिहार के लोगों के लिए 2026 की शुरुआत महंगी साबित हो सकती है। राज्य की बिजली वितरण कंपनियों ने बिहार बिजली नियामक आयोग (BERC) को गैर-सब्सिडी वाले बिजली दरों में भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव भेजा है। अगर यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो राज्य के हर घर, खेत और फैक्ट्री का बिजली बिल बढ़ जाएगा, जिससे आम जनता और उद्योग दोनों पर आर्थिक दबाव बढ़ने की संभावना है।

बिजली कंपनियों ने घरेलू उपभोक्ताओं पर सबसे बड़ा बोझ डालने का प्रस्ताव पेश किया है। फिलहाल घरेलू उपभोक्ता 7.42 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली का भुगतान करते हैं, जबकि अब इसे बढ़ाकर 7.77 रुपये प्रति यूनिट करने का सुझाव दिया गया है, यानी प्रति यूनिट 35 पैसे की बढ़ोतरी। यह बढ़ोतरी कुटीर ज्योति, ग्रामीण घरेलू और शहरी घरेलू सभी श्रेणियों पर लागू होगी। हालांकि शहरी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए थोड़ी राहत भी प्रस्ताव में शामिल है। इसके अनुसार 100 यूनिट से अधिक खपत पर प्रति यूनिट 1.18 रुपये की छूट दी जाएगी। इसके बावजूद, बाकी सभी दरें बढ़ेंगी। वहीं, खेती और सिंचाई के लिए बिजली की दरों में भी इजाफा प्रस्तावित है। वर्तमान में सिंचाई के लिए 6.74 रुपये प्रति यूनिट की दर है, जिसे बढ़ाकर 7.09 रुपये प्रति यूनिट करने का सुझाव दिया गया है। इसका मतलब है कि अब किसानों के लिए खेतों में सिंचाई करना भी महंगा हो जाएगा। बिजली महंगी होगी या नहीं, यह पूरी तरह बिहार सरकार की सब्सिडी नीति पर निर्भर करेगा। अगर सरकार पहले की तरह सब्सिडी जारी रखती है, तो घरेलू उपभोक्ताओं पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। लेकिन अगर सब्सिडी घटा दी गई, तो कई उपभोक्ताओं का बिजली बिल दोगुना तक बढ़ सकता है, जिससे आम जनता और किसानों दोनों पर भारी आर्थिक दबाव पड़ेगा।

दरअसल, इस बार बिहार बिजली नियामक आयोग (BERC) ने जनता को अपनी बात रखने का अवसर भी दिया है। लोग अपनी आपत्तियां ईमेल, पंजीकृत डाक, स्पीड पोस्ट या पटना, गया और बेगूसराय में आयोजित सार्वजनिक सुनवाई में शामिल होकर दर्ज कर सकते हैं। आयोग इन सुझावों और आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए अंतिम फैसला लेगा, जिससे बिजली की नई दरों पर अंतिम निर्णय किया जाएगा। हालांकि, यह मौका उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनकी प्रतिक्रिया सीधे बिजली की कीमतों और सब्सिडी नीति पर असर डाल सकती है।

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