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बिहार के MLA को हर साल मिलता है कितना फंड? जानिए इसका इस्तेमाल कहाँ होता है

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बिहार के MLA को हर साल मिलता है कितना फंड? जानिए इसका इस्तेमाल कहाँ होता है…

बिहार में नई सरकार के गठन के साथ ही सत्ता का नया दौर शुरू हो गया है और NDA ने एक बार फिर से सत्ता में वापसी कर ली है। नए विधायकों ने विधानसभा सत्र शुरू होते ही शपथ ग्रहण करना शुरू कर दिया है। चुनावी हलचल शांत होने के बाद जनता की निगाहें सीधे अपने क्षेत्र के विकास पर टिक गई हैं। यही समय है जब सबसे बड़ा सवाल उठता है कि हमारे इलाके में विकास कब और कैसे होगा? और इसका सीधा संबंध उस फंड से है जिसे पहले MLA फंड कहा जाता था और अब इसे मुख्यमंत्री स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के नाम से जाना जाता है। जो सड़क, नाली, पुलिया, सामुदायिक भवन, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और पेयजल जैसी आवश्यक सुविधाओं के निर्माण के लिए विधायकों को आवंटित किया जाता है।

बिहार में प्रत्येक विधायक को अपने विधानसभा क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए सालाना 4 करोड़ रुपये का बजट मिलता है। यह राशि मुख्यमंत्री स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (CMLADS) के तहत आवंटित की जाती है। 2023 में बिहार कैबिनेट ने इस फंड में बड़ा बदलाव किया और इसे पहले 3 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 4 करोड़ रुपये प्रति वर्ष कर दिया है। इस बढ़ोतरी का उद्देश्य बदलते समय और बढ़ती जरूरतों के हिसाब से सड़क, नाली, सामुदायिक भवन, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और अन्य महत्वपूर्ण विकास कार्यों को मजबूती प्रदान करना था। MLA खुद इस फंड को सीधे खर्च नहीं करते, लेकिन वे अपने क्षेत्र में होने वाले विकास कार्यों की सूची जिला प्रशासन को भेज सकते हैं और उसी के अनुसार पैसा खर्च किया जाता है। आम तौर पर इस फंड का उपयोग ग्रामीण सड़क और गलियों के निर्माण, नाली और ड्रेनेज सिस्टम, स्कूलों की मरम्मत और भवन निर्माण, श्मशान, कब्रिस्तान और सामुदायिक भवन, स्ट्रीट लाइट, चापाकल और छोटे पुल-पथ जैसे कार्यों के लिए किया जाता है। यानी यह पैसा सीधे जनता की बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने पर खर्च होता है। अगर इस फंड की तुलना अन्य राज्यों से की जाए तो बिहार का 4 करोड़ रुपये का सालाना बजट कुछ कम है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में यह 5 करोड़, दिल्ली में 2025 में घटाकर भी 5 करोड़, मध्य प्रदेश में 5 करोड़ और ओडिशा में 5 करोड़ रुपये है। हालांकि, बिहार में पिछले कुछ सालों में मॉडल में बदलाव किया गया है और MLA फंड को CM-नेतृत्व वाले जिला विकास मॉडल से जोड़ा गया है, फिर भी व्यावहारिक तौर पर हर विधायक अपने क्षेत्र में आज भी 4 करोड़ रुपये तक के विकास कार्य सुझा सकता है।

हालांकि, अब जब नई सरकार बन चुकी है और विधायक शपथ ले चुके हैं, जनता की नजरें सीधे अपने क्षेत्र के विकास पर टिक गई हैं। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि यह फंड केवल कागजों तक सीमित न रहे, बल्कि जमीन पर काम दिखे। ग्रामीण इलाकों में सड़क, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा सबसे बड़े मुद्दे हैं, और लोग चाहते हैं कि नए विधायक जल्द से जल्द अपने विधानसभा क्षेत्रों में विकास कार्य शुरू करें। साथ ही, पिछले वर्षों से अधूरे पड़े प्रोजेक्ट भी अब पूरी गति से पूरे किए जाएँ, ताकि जनता को वास्तविक सुधार और सुविधाएँ मिल सकें।

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