
बिहार में शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी बनाने और फर्जीवाड़े को रोकने की दिशा में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो (Vigilance Investigation Bureau) ने एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य के करीब 73 हजार शिक्षकों के लिए यह खबर किसी झटके से कम नहीं है। नियोजित से विशिष्ट संवर्ग में शामिल हुए इन शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच अब अपने अंतिम और निर्णायक दौर में पहुंच गई है। निगरानी विभाग ने इस संबंध में शिक्षा विभाग को आधिकारिक पत्र लिखकर जांच प्रक्रिया को तेज करने का निर्देश दिया है।
पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर पैनी नजर
यह पूरी कवायद पटना उच्च न्यायालय के उस आदेश के आलोक में की जा रही है, जिसमें नियोजित शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में हुई कथित अनियमितताओं की जांच करने को कहा गया था। भले ही इन शिक्षकों ने सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण कर ‘विशिष्ट शिक्षक’ का दर्जा प्राप्त कर लिया हो, लेकिन उनके पुराने नियोजन के समय जमा किए गए दस्तावेजों की वैधता की जांच से उन्हें छूट नहीं मिली है। प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि अदालत के आदेश का पालन हर हाल में किया जाएगा।
जांच के दायरे में विश्वविद्यालय और बिहार बोर्ड
निगरानी विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जांच का दायरा काफी व्यापक है। राज्य के दर्जन भर से अधिक विश्वविद्यालयों द्वारा जारी किए गए प्रमाण पत्रों की सत्यता परखी जा रही है।
• 17,431 प्रमाण पत्र: राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों को भेजे गए हैं ताकि यह पुष्टि हो सके कि ये डिग्रियां असली हैं या नहीं।
• 46,681 अंक पत्र और प्रमाण पत्र: बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) को सत्यापन के लिए सौंपे गए हैं।
क्यों बढ़ी शिक्षकों की धड़कनें?
राज्य में लगभग 6 लाख शिक्षक कार्यरत हैं, जिनमें से 73 हजार शिक्षक सीधे तौर पर इस जांच की आंच में हैं। निगरानी ब्यूरो का पत्र शिक्षा विभाग को मिलने के बाद उन शिक्षकों में हड़कंप है जिनके दस्तावेज अब तक सत्यापित नहीं हो पाए हैं। विभाग ने साफ किया है कि जिन शिक्षकों की जांच पूरी हो चुकी है और जिनके दस्तावेज सही पाए गए हैं, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन, यदि किसी भी स्तर पर फर्जीवाड़ा पाया जाता है, तो उन पर न केवल विभागीय कार्रवाई होगी, बल्कि कानूनी शिकंजा भी कसा जाएगा।
क्या होगा अगला कदम?
शिक्षा विभाग अब उन विश्वविद्यालयों और बोर्ड के साथ समन्वय बढ़ा रहा है जहाँ से सत्यापन रिपोर्ट आनी शेष है। अधिकारियों का कहना है कि यह जांच प्रक्रिया अब अपने “अंतिम मुकाम” पर है। इस कार्रवाई का उद्देश्य शिक्षा प्रणाली से उन लोगों को बाहर करना है जिन्होंने गलत तरीके से सिस्टम में प्रवेश पाया है, ताकि योग्य और ईमानदार शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित रहे।