
आय से अधिक संपत्ति के शक ने पाटलिपुत्र सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के विकास पदाधिकारी भवेश कुमार सिंह को ईओयू के रडार पर ला दिया है। शुक्रवार तड़के आर्थिक अपराध इकाई ने पटना और गोपालगंज में उनके छह ठिकानों पर एक साथ छापेमारी शुरू की, जिसमें प्रारंभिक जांच में कई संदिग्ध संपत्ति निवेश और दस्तावेजों के मिलने की बात सामने आ रही है। जांच अधिकारियों का मानना है कि सिंह के पास घोषित आय से लगभग 60 प्रतिशत अधिक संपत्ति होने की संभावना है।
पटना में ईओयू की टीम ने चार स्थानों पर एक साथ कार्रवाई की। तलाशी की शुरुआत रूपसपुर थाना क्षेत्र के रामजयपाल नगर स्थित पुष्पक रेसिडेंटी अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 203 से हुई, जहाँ टीम ने संपत्ति से जुड़े दस्तावेजों की गहन जांच की। इसके बाद अगमकुआं थाना क्षेत्र के जकरियारपुर मोहल्ले में गोदाम गली के पास पहाड़ी पर बने पांच मंजिला भवन में छापेमारी की गई। इसी दौरान बिहटा के बेला स्थित जय माता दी राइस मिल में भी आर्थिक लेन-देन और संपत्ति संबंधी रिकॉर्ड खंगाले गए। साथ ही एसपी वर्मा रोड स्थित को-ऑपरेटिव बैंक के कार्यालय में संबंधित फाइलों और कागजातों का सत्यापन किया गया। वहीं, गोपालगंज में ईओयू की टीम ने दो जगहों पर तलाशी ली। मांझगढ़ थाना क्षेत्र के जलालपुर गांव स्थित भवेश कुमार सिंह के पैतृक आवास में विस्तृत जांच की गई, जहां घर और आसपास के परिसर की बारीकी से तलाशी ली गई। इसके अलावा मांझगढ़ में ही स्थित भावना पेट्रोलियम पर भी छापेमारी की गई, जहाँ लेन-देन और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जांच की गई।
तलाशी के दौरान ईओयू को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, बैंकिंग लेन-देन के रिकॉर्ड और संपत्ति से जुड़े कागजात मिले हैं, जिनकी विस्तृत जांच की जा रही है। प्रारंभिक स्तर पर कुछ ऐसे दस्तावेज भी सामने आए हैं, जिन्हें जांच टीम संदिग्ध मान रही है। अधिकारियों के अनुसार, बरामद सामग्रियों के विश्लेषण के बाद आय और संपत्ति के वास्तविक अंतर की स्पष्ट तस्वीर सामने आएगी। ईओयू अब जब्त दस्तावेजों के आधार पर आगे की कार्रवाई की तैयारी में है। जरूरत पड़ने पर संबंधित व्यक्तियों को नोटिस भेजे जाएंगे और पूछताछ की प्रक्रिया भी तेज की जाएगी। विभागीय सूत्रों का कहना है कि जांच में अगर अनियमितताएँ पुख्ता पाई गईं, तो मामले में आगे कठोर कानूनी कदम उठाए जा सकते हैं। मामले की विवेचना फिलहाल जारी है।