
बिहार में नीतीश सरकार ने बड़ा प्रशासनिक कदम उठाते हुए एक आईएएस अधिकारी को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। यह कार्रवाई बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग (BSSC) के पेपर लीक मामले में की गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस फैसले पर मुहर लगी।
नीतीश कुमार सरकार की कैबिनेट ने बड़ा फैसला लेते हुए आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। वह बिहार एसएससी 2017 भर्ती परीक्षा पेपर लीक कांड के मुख्य आरोपी रहे हैं। सरकार ने न केवल उनकी सेवा समाप्त की, बल्कि उन्हें राज्य में किसी भी तरह की नौकरी के लिए अयोग्य भी घोषित कर दिया है। जांच में सामने आया था कि परीक्षा के प्रश्नपत्र पहले ही वायरल हो गए थे और उत्तर पुस्तिकाएं 5 से 6 लाख रुपये में बेची जा रही थीं। पेपर की छपाई अहमदाबाद की एक ऐसी प्रिंटिंग प्रेस में कराई गई थी, जिसके पास वैध लाइसेंस तक नहीं था। सुधीर कुमार इस मामले में करीब तीन साल तक जेल में रहे और अक्टूबर 2020 में उन्हें जमानत मिली। वहीं आर्थिक अपराध इकाई ने इस केस से जुड़े संजीव मुखिया गिरोह के सक्रिय सदस्य संजय कुमार प्रभात को हाल ही में पटना के गोला रोड से गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। वहीं, पेपर लीक मामले में आरोपी संजय कुमार प्रभात पर प्रत्येक अभ्यर्थी से करीब एक लाख रुपये वसूली का आरोप है। यह परीक्षा 15 मार्च 2024 को आयोजित हुई थी और आरोपी इस आर्थिक अपराध में लंबे समय से वांछित था। पूछताछ के दौरान प्रभात ने कई प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक कर अवैध संपत्ति अर्जित करने की बात कबूल की है। उसने आगामी परीक्षाओं के लिए कई उम्मीदवारों से प्रवेश पत्र भी जमा कर लिए थे और परीक्षा केंद्रों के भीतर सेटिंग कराने का भरोसा दिया था।
ईओयू के अनुसार, संजय कुमार प्रभात से पूछताछ के बाद इस नेटवर्क के सरगना संजीव मुखिया से भी पूछताछ की जा सकती है, जो फिलहाल नीट यूजी पेपर लीक मामले में जमानत पर है। इधर, प्रतियोगी परीक्षाओं की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए आर्थिक अपराध इकाई ने चालक सिपाही और प्रवर्तन अवर निरीक्षक भर्ती परीक्षा से पहले राज्यभर में छापेमारी तेज कर दी है। टीआरई-3 पेपर लीक केस में अब तक 289 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि शेष संदिग्धों की तलाश और जांच लगातार जारी है।
