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“अगर पति आवारा है, कंडोम ही सहारा है” — समस्तीपुर में निकली अनोखी AIDS जागरूकता रैली

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“अगर पति आवारा है, कंडोम ही सहारा है” — समस्तीपुर में निकली अनोखी AIDS जागरूकता रैली...

विश्व एड्स दिवस पर सोमवार को समस्तीपुर में जागरूकता का व्यापक संदेश सड़क से समाज तक गूंजा। हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा आयोजित मुख्य रैली को सदर अस्पताल से सिविल सर्जन एस.के. चौधरी ने हरी झंडी दिखाई, जो शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए वापस अस्पताल पहुंची। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं ने रैलियाँ निकालीं, जहां स्टूडेंट्स ने पोस्टर और स्लोगन के माध्यम से लोगों से एड्स के प्रति जागरूक रहने और सुरक्षित जीवनशैली अपनाने की अपील की।

समस्तीपुर के चीफ मेडिकल ऑफिसर (CMO) विशाल कुमार ने बताया कि नेशनल एड्स कंट्रोल प्रोग्राम की गाइडलाइन के तहत सदर अस्पताल से जागरूकता रैली निकाली गई, ताकि लोगों को एड्स और एचआईवी से जुड़े तथ्य समझाए जा सकें और समाज में छुआछूत की संभावनाओं को कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि कई एचआईवी मरीज एआरटी सेंटर तक नहीं पहुंच पाते, ऐसे में यह रैली उनके बीच इलाज और परामर्श की आवश्यकता को लेकर जागरूकता फैलाने का उद्देश्य भी पूरा करती है। दरअसल, रैली का नेतृत्व संस्था की चेयरपर्सन मोनी रानी ने किया, जो शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और स्वास्थ्य जागरूकता के क्षेत्र में अपनी सक्रिय भूमिका के लिए जानी जाती हैं। हरी झंडी दिखाते हुए उन्होंने कहा कि एड्स आज भी जानकारी की कमी के कारण बड़ी चुनौती बना हुआ है और समाज को इससे लड़ने के लिए सही जानकारी और युवाओं की भागीदारी बेहद जरूरी है। वहीं, रैली में एएनएम स्कूल की सैकड़ों छात्राओं के साथ सदर अस्पताल के मेडिकल कर्मियों ने भी हिस्सा लिया। कार्यक्रम का आयोजन जिला एड्स नियंत्रण इकाई, एआरटी, एसटीडी, आईसीडीपीटी और ब्लड बैंक के संयुक्त सहयोग से किया गया।

हालांकि, रैली में शामिल छात्रों, शिक्षकों और स्थानीय लोगों ने एचआईवी/एड्स से जुड़े मिथकों को खत्म करने और नियमित स्वास्थ्य जांच करवाने पर जोर दिया। कार्यक्रम के अंत में सिविल सर्जन डॉ. एस.के. चौधरी ने लोगों से सुरक्षित व्यवहार अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि एड्स से बचाव का सबसे बड़ा मंत्र है कि संयम और अपने साथी के प्रति वफादारी। वहीं, मजाकिया अंदाज़ में जागरूकता बढ़ाते हुए उन्होंने यह भी कहा, “अगर पार्टनर आवारा है, तो कंडोम ही सहारा है।” उनका संदेश था कि बीमारी से डरने की जरूरत नहीं है, बल्कि सतर्क रहकर और सही सावधानियों के साथ इसे रोका जा सकता है।

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