टॉप न्यूज़देशराजनीति

संविधान दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने देश के नाम लिखा प्रेरणादायी पत्र

दिल्ली ,नरेंद्र मोदी

संविधान दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने देश के नाम लिखा प्रेरणादायी पत्र

26 नवंबर को संविधान दिवस के विशेष अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों के नाम एक भावुक और प्रेरणादायक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने भारतीय संविधान के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा व्यक्त की और बताया कि किस तरह यह ‘पवित्र दस्तावेज़’ देश के हर नागरिक के लिए सपनों को साकार करने की शक्ति है।

प्रधानमंत्री ने अपने राजनीतिक जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि यह संविधान की अंतर्निहित शक्ति ही है जिसने उन्हें, एक साधारण और आर्थिक रूप से पिछड़े परिवार से आने वाले व्यक्ति को, 24 साल से भी अधिक समय तक लगातार सरकार का नेतृत्व करने का अवसर प्रदान किया।

संविधान के प्रति पीएम मोदी की श्रद्धा
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पत्र में 2015 के उस निर्णय को याद किया, जब उनकी सरकार ने देश के इस पवित्र दस्तावेज़ का सम्मान करने के लिए 26 नवंबर को औपचारिक रूप से संविधान दिवस घोषित किया था।

उन्होंने 2014 और 2019 के दो महत्वपूर्ण पलों का उल्लेख किया, जो संविधान के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाते हैं: “मुझे आज भी 2014 के वो पल याद हैं, जब मैं पहली बार संसद आया था और लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर की सीढ़ियों को छूकर सिर झुकाया था। 2019 में, चुनाव के नतीजों के बाद, जब मैं संविधान सदन के सेंट्रल हॉल में गया, तो मैंने सिर झुकाया और सम्मान के तौर पर संविधान को अपने माथे पर लगाया।” पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि इस संविधान ने ही उन्हें और उनके जैसे अनगिनत लोगों को बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने की शक्ति दी है।

संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि और कर्तव्यों का महत्व
प्रधानमंत्री ने संविधान सभा के दूरदर्शी सदस्यों – डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर और प्रतिष्ठित महिला सदस्यों – को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने संविधान की 60वीं और 75वीं वर्षगांठ जैसे महत्वपूर्ण पड़ावों और उन पर आयोजित कार्यक्रमों में जनता की रिकॉर्ड भागीदारी का भी उल्लेख किया।

उन्होंने बताया कि इस वर्ष का संविधान दिवस कई ऐतिहासिक हस्तियों की जयंतियों से मेल खाता है, जिनमें सरदार वल्लभभाई पटेल और भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती प्रमुख है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये शख्सियतें हमें संविधान के अनुच्छेद 51 ‘ए’ में बताए गए नागरिक कर्तव्यों के महत्व की याद दिलाती हैं। उन्होंने महात्मा गांधी के इस विश्वास को भी याद किया कि अधिकार और कर्तव्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।

विकसित भारत का विजन: अगले दो दशक महत्वपूर्ण
भविष्य की ओर देखते हुए, पीएम मोदी ने देशवासियों से आह्वान किया कि अगले दो दशक बेहद महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि इस सदी की शुरुआत के 25 साल बीत चुके हैं, और सिर्फ दो दशकों में भारत गुलामी से आजादी के 100 साल पूरे कर लेगा। इसके अलावा, 2049 में संविधान को अपनाए हुए एक सदी हो जाएगी।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि आज ली गई नीतियां और निर्णय ही आने वाली पीढ़ियों के जीवन को आकार देंगे। उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि वे ‘विकसित भारत’ के विजन को साकार करने के लिए अपने कर्तव्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।

पत्र के अंत में, उन्होंने युवाओं से वोट के अधिकार का जिम्मेदारी से उपयोग करने और स्कूलों तथा कॉलेजों में पहली बार वोट देने वाले 18 वर्षीय युवाओं को सम्मानित करके संविधान दिवस मनाने का सुझाव दिया। प्रधानमंत्री ने देशवासियों से एक विकसित और मजबूत भारत बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए नागरिक जिम्मेदारियों को पूरा करने का वादा दोहराने का आग्रह किया।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर भी श्रद्धांजलि देते हुए पीएम मोदी ने लिखा, “हमारा संविधान मानवीय गरिमा, बराबरी और आजादी को सबसे ज्यादा अहमियत देता है… ये जिम्मेदारियां एक मजबूत लोकतंत्र की नींव हैं। आइए हम अपने कामों से संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने का अपना वादा दोहराएं।”

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!