
बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद अब विपक्षी महागठबंधन और उसकी सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के भीतर का अंतर्कलह खुलकर सामने आ गया है। हार की समीक्षा के लिए आयोजित बैठकों में पार्टी के चुनाव हारे उम्मीदवारों ने सीधे तौर पर महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार रहे तेजस्वी यादव की कोर टीम की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं, जिससे पार्टी के अंदर ज़ोरदार बवाल मच गया है।
2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी RJD इस बार केवल 25 सीटों पर सिमट गई थी, जिसके बाद से ही पार्टी के भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे थे।
हारे उम्मीदवारों का गुस्सा: ‘कोर टीम ने डुबोया’
RJD ने चुनाव नतीजों की समीक्षा शुरू कर दी है, और इन बैठकों में निराशा और गुस्सा साफ झलक रहा है। बुधवार को मगध प्रमंडल की विधानसभा सीटों को लेकर हुई समीक्षा बैठक में, चुनाव हारने वाले उम्मीदवारों ने बेबाकी से अपनी बात रखी।
हार का मुख्य कारण बताते हुए, हारे उम्मीदवारों ने पार्टी में सामंजस्य की कमी को सबसे बड़ी वजह बताया है। उनका सीधा आरोप तेजस्वी यादव की कोर टीम पर है, जिनकी कार्यशैली और टिकट वितरण से लेकर जमीनी स्तर पर समन्वय स्थापित करने के तरीके पर उन्होंने सवालिया निशान लगाया है। उनका मानना है कि कोर टीम की गलत रणनीतियों और जमीनी कार्यकर्ताओं से दूरी ने ही पार्टी को करारी हार की ओर धकेला।
सहयोगी दलों से नहीं मिला सहयोग: गठबंधन पर सवाल
केवल कोर टीम ही नहीं, हारे उम्मीदवारों ने महागठबंधन में शामिल सहयोगी दलों को भी जमकर घेरा है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि चुनाव में उन्हें अपने गठबंधन सहयोगियों (जैसे कांग्रेस, लेफ्ट, वीआईपी, आईआईपी) से वह सहयोग नहीं मिला, जिसकी उन्हें उम्मीद थी और जो जीत के लिए ज़रूरी था। उम्मीदवारों का कहना है कि सहयोगी दलों के कार्यकर्ता या तो निष्क्रिय रहे या उन्होंने RJD उम्मीदवारों को अंदरूनी तौर पर समर्थन नहीं दिया, जिससे वोटों का बंटवारा हुआ और हार सुनिश्चित हुई। यह रार अब विपक्षी खेमे की एकजुटता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रही है।
गौरतलब है कि RJD से पहले कांग्रेस ने भी हाल ही में बिहार चुनाव के नतीजों को लेकर समीक्षा बैठक की थी, जहां आंतरिक कलह और नेतृत्व पर सवाल उठे थे। अब RJD के भीतर भी यह रार खुलकर सामने आ गई है, जो न सिर्फ पार्टी के भविष्य के लिए बल्कि पूरे महागठबंधन की एकजुटता के लिए एक बड़ी चुनौती है। तेजस्वी यादव के लिए अब अपनी पार्टी और सहयोगियों को एकजुट रखना एक बड़ी परीक्षा होगी।