
2025 बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम ने एनडीए (NDA) को ऐतिहासिक जीत दिलाई है। एनडीए ने 243 में से 202 सीटों पर जीत हासिल की, जिसमें बीजेपी और जदयू के बीच गठबंधन ने बड़ा योगदान दिया। वहीं, राजद और उसके सहयोगी दलों को तगड़ा झटका लगा, और राजद को 50 सीटों का नुकसान हुआ। इस जीत के बाद अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का त्यागपत्र सौंपने का समय आ गया है, और नई सरकार का गठन अगले सप्ताह तक हो सकता है।
नीतीश कुमार का इस्तीफा और शपथ ग्रहण की प्रक्रिया
राजनीतिक हलकों से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात कर पद से इस्तीफा सौंप सकते हैं। इसके बाद, नई सरकार का गठन और मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की तारीख तय की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक, नई सरकार के गठन की प्रक्रिया अगले सप्ताह तक पूरी हो सकती है। नीतीश कुमार का इस्तीफा औपचारिक तौर पर सरकार की बदलाव प्रक्रिया को शुरू करेगा।
एनडीए के लिए यह जीत काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि पिछले चुनावों के मुकाबले उसे बड़ी सफलता मिली है। जदयू ने कुल 42 सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी ने भी 2020 के मुकाबले 15 सीटों का इज़ाफा किया। इस बार राजद को भारी नुकसान हुआ और उसकी सीटें 50 कम हुईं।
2010 के चुनावों के समान परिणाम
इस बार के परिणाम में एक अहम समानता है जो 2010 के विधानसभा चुनाव से मिलती है, जब एनडीए ने राज्य में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। हालांकि, इस बार राजद और कांग्रेस के कई बड़े नेता हार गए हैं। खासकर राजद के कई प्रमुख उम्मीदवार, जैसे लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेज प्रताप यादव, जो महुआ से चुनाव हार गए, और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार, जो औरंगाबाद जिले के कुटुम्बा से हार गए, उनकी हार ने पार्टी की स्थिति कमजोर की।
एनडीए के नेताओं की सफलता
बीजेपी और जदयू के नेताओं ने शानदार प्रदर्शन किया, खासकर बीजेपी के मंगल पांडेय, जो सिवान से स्वास्थ्य मंत्री के रूप में चुनाव जीतने में सफल रहे। वहीं, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी और उदय नारायण चौधरी, जो राजद के उम्मीदवार थे, हार गए।
आगे की राह
विधानसभा चुनाव के परिणाम से साफ है कि बिहार की जनता ने एनडीए को बड़ी जीत दी है और इस बार एनडीए का शासन मजबूत होगा। बीजेपी और जदयू के बीच गठबंधन ने राज्य की राजनीति को एक नई दिशा दी है। वहीं, राजद और कांग्रेस के लिए यह परिणाम आत्ममंथन का समय है, और उन्हें आगामी समय में अपनी रणनीतियों को नया रूप देना होगा।
संभावना जताई जा रही है कि नीतीश कुमार के इस्तीफे और नई सरकार का गठन के बाद राज्य में एक स्थिर सरकार का गठन होगा, जो अगले पांच वर्षों तक बिहार की दिशा और दशा को प्रभावित करेगा।
