
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में राज्य में सुशासन और प्रशासनिक दक्षता बनाए रखने के उद्देश्य से मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग और निगरानी विभाग की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। बैठक में मुख्यमंत्री ने दोनों विभागों की कार्यप्रणाली, सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और कानून-व्यवस्था की स्थिति की विस्तार से समीक्षा की और अधिकारियों को कई अहम निर्देश दिए।
सचिवालय को मिला प्रभावी समन्वय का निर्देश
मुख्यमंत्री ने बैठक की शुरुआत मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के कामकाज की समीक्षा से की। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि सचिवालय विभाग राज्य सरकार के सभी विभागों के समन्वय का मुख्य केंद्र है और इसका कामकाज पारदर्शी, समयबद्ध और प्रभावी होना चाहिए।

नीतीश कुमार ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि सभी सरकारी योजनाओं और परियोजनाओं की प्रगति की रिपोर्ट नियमित रूप से मंत्रिपरिषद को दी जाए। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि जनता की शिकायतों और सुझावों का त्वरित निपटान हो ताकि आम नागरिक को सरकारी सेवाओं में किसी प्रकार की कठिनाई न हो। मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक कार्यों की गुणवत्ता बढ़ाने पर विशेष जोर दिया।
भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस: निगरानी विभाग को कड़ा टास्क
इसके बाद, मुख्यमंत्री ने निगरानी विभाग की कार्यप्रणाली की समीक्षा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि निगरानी विभाग का मुख्य उद्देश्य भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और सरकारी निधियों के दुरुपयोग की रोकथाम करना है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि राज्य में सभी सरकारी परियोजनाओं की निगरानी लगातार हो और किसी भी प्रकार की अनियमितता पाए जाने पर तुरंत और सख्त कार्रवाई की जाए।
उन्होंने अधिकारियों से अपेक्षा जताई कि वे अपने क्षेत्र में सख्ती और पारदर्शिता बनाए रखें ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ सही लाभार्थियों तक पहुंचे। मुख्यमंत्री ने दोहराया कि सरकारी फंड का उपयोग पूरी तरह से नियमानुसार हो और किसी भी प्रकार की अनियमितता को बर्दाश्त न किया जाए।
क्षमता विकास और डिजिटलीकरण पर जोर
समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कुछ विशेष निर्देश भी जारी किए। उन्होंने अधिकारियों को कहा कि विभागीय कर्मचारियों को प्रशिक्षण और क्षमता विकास के कार्यक्रमों में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए ताकि उनकी कार्यक्षमता का स्तर बढ़े।
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि डिजिटल तकनीकों का उपयोग बढ़ाकर सभी विभागीय कार्यों को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाया जाए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से यह भी कहा कि जनता के लिए किए जाने वाले कार्यों की गुणवत्ता पर किसी भी तरह का समझौता न हो, क्योंकि जनता के विश्वास को बनाए रखना सरकार की प्राथमिकता है। बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि सरकार की नीतियों और योजनाओं का लाभ हर नागरिक तक बिना किसी बाधा के कैसे पहुंचाया जा सकता है।
अंत में, मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल सचिवालय और निगरानी विभाग के अधिकारियों से सतर्क, ईमानदार और जवाबदेह रहने की अपील की। इस बैठक से यह स्पष्ट हो गया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रशासनिक सुधार और सरकारी योजनाओं के पारदर्शी कार्यान्वयन को लेकर गंभीर हैं और सुशासन को लेकर किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं करेंगे।