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मतदाताओं को धमकाने के आरोप में केंद्रीय मंत्री ललन सिंह पर कार्रवाई की तलवार, चुनाव आयोग ने जारी किया नोटिस

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मतदाताओं को धमकाने के आरोप में केंद्रीय मंत्री ललन सिंह पर कार्रवाई की तलवार, चुनाव आयोग ने जारी किया नोटिस

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान मोकामा सीट पर सियासी घमासान तेज हो गया है। इसी बीच केंद्रीय मंत्री और जेडीयू नेता ललन सिंह मुश्किलों में फंसते नज़र आ रहे हैं। चुनावी सभा के दौरान दिए गए एक बयान को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने उन्हें नोटिस जारी किया है और 24 घंटे के भीतर जवाब मांगा है।

दरअसल, मोकामा में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए ललन सिंह का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। वायरल वीडियो में ललन सिंह कथित तौर पर कहते हुए दिख रहे हैं— “एकदो नेता हैं, तो चुनाव के दिन इनको घर से मत निकलने दो, इनको घर में बंद कर दो।” हालांकि इस वीडियो की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन निर्वाचन आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है।

जानकारी के अनुसार, जिला निर्वाचन पदाधिकारी के निर्देश पर ललन सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। आयोग ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा है और कहा है कि जवाब असंतोषजनक पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

चुनाव आयोग के पास क्या है अधिकार?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए व्यापक शक्तियां प्राप्त हैं। आयोग किसी भी उम्मीदवार या नेता पर प्रचार प्रतिबंध, चेतावनी, या यहां तक कि अयोग्यता घोषित करने जैसी कार्रवाई कर सकता है। आवश्यकता पड़ने पर प्रभावित मतदान केंद्रों पर मतदान रद्द या निलंबित किया जा सकता है।

कानून क्या कहता है?

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 174 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति मतदाताओं पर अनुचित प्रभाव डालता है या उन्हें डरानेधमकाने की कोशिश करता है, तो उसे एक साल तक की कैद, जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
वहीं, धारा 351 के तहत आपराधिक धमकी देने पर दो साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है। अगर धमकी गंभीर है, जैसे मृत्यु या गंभीर चोट पहुँचाने की, तो सजा सात साल तक बढ़ सकती है।

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951

इस अधिनियम के तहत किसी भी उम्मीदवार द्वारा मतदाताओं को डराना, रिश्वत देना या अनुचित प्रभाव डालना भ्रष्ट आचरण माना जाता है। दोषी पाए जाने पर उम्मीदवार को अयोग्य घोषित किया जा सकता है और उस पर आपराधिक मुकदमा भी चलाया जा सकता है।

इस प्रकार, बिहार चुनाव 2025 में मतदाताओं को धमकाने जैसे मामलों पर चुनाव आयोग और भारतीय कानून दोनों ही सख्त रुख अपनाए हुए हैं ताकि स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान प्रक्रिया सुनिश्चित की जा सके।

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