
सोशल मीडिया का दौर है, और रोज़ाना किसी न किसी सेलेब्रिटी या इनफ्लुएंसर का प्राइवेट वीडियो वायरल होने की खबर सामने आ जाती है। कई बार ये क्लिप्स डीपफेक साबित होते हैं, लेकिन कई मामलों में यह किसी की निजी ज़िंदगी में घुसपैठ कर बिना अनुमति के बनाए और फैलाए गए असली वीडियो होते हैं। हाल ही में सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर सोफिक एसके का पर्सनल वीडियो वायरल होने के बाद एक बार फिर ये बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है कि किसी का निजी वीडियो वायरल करना कानून की नज़र में कितना बड़ा अपराध है, और इसके लिए BNS में कितनी सजा का प्रावधान है?
सोशल मीडिया पर बुधवार (26 नवंबर) को अचानक बंगाल के इनफ्लुएंसर सोफिक एसके सुर्खियों में आ गए, जब उनका और उनकी गर्लफ्रेंड का कथित पर्सनल वीडियो कई प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से फैलने लगा। वीडियो सामने आते ही लगभग 15–16 मिनट के भीतर यह अलग-अलग सोशल मीडिया साइटों पर वायरल हो गया और कुछ ही घंटों में Sofik viral video जैसे सर्च शब्द ट्रेंडिंग लिस्ट में पहुंच गए। हालांकि, वीडियो को लेकर यूजर्स के बीच मतभेद है कि कुछ इसे असली बता रहे हैं, जबकि कई लोगों का कहना है कि इसमें छेड़छाड़ की गई है या यह वीडियो एआई से जेनरेटेड हो सकता है। हालांकि अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि यह वीडियो असली है या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बनाया गया। बता दें, 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने राइट टू प्राइवेसी यानी निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया था। ऐसे में किसी भी व्यक्ति की अनुमति के बिना उसका निजी वीडियो रिकॉर्ड करना, शेयर करना या वायरल करना सीधे तौर पर कानून का उल्लंघन है। वहीं, अगर कोई व्यक्ति किसी की मर्जी के खिलाफ उसका वीडियो बनाता है या शेयर करता है, तो यह फिजिकल प्राइवेसी का उल्लंघन माना जाता है और IT Act 2000 की धारा 66E के तहत उसके खिलाफ कार्रवाई होती है। इस धारा में 3 साल की जेल और 2 लाख रुपये तक का जुर्माना का प्रावधान है। वहीं अगर किसी का फोटो या वीडियो एडिट कर उसे अश्लील रूप देकर वायरल किया जाता है, तो आरोपी पर आईटी एक्ट की धारा 67 लगती है, जिसके तहत 3 साल की सजा और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। डीपफेक, एआई-आधारित छेड़छाड़ या मॉर्फ्ड वीडियो,इन सभी पर भी यही धाराएं लागू होती हैं, यानी 66E और 67 के तहत केस दर्ज किया जा सकता है।
1 जुलाई 2024 से लागू भारतीय न्याय संहिता (BNS) में महिलाओं की निजता की सुरक्षा को और मजबूत बनाया गया है। नए कानून के तहत किसी महिला की निजी अवस्था का बिना अनुमति फोटो या वीडियो बनाना, या उसे किसी भी प्लेटफॉर्म के जरिए साझा करना, अब गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। इसके लिए BNS की धारा 73 लागू की गई है, जो पुराने IPC 354G का स्थान लेती है। वहीं, धारा 73 में स्पष्ट है कि किसी भी महिला का प्राइवेट फोटो या वीडियो लेना, रखना, शेयर करना या वायरल करना दंडनीय अपराध है। और इसमें अपराधी पुरुष हो या महिला, दोनों पर समान कार्रवाई और सजा का प्रावधान है।