
सिटी पोस्ट लाइव
बिहार में भ्रष्टाचार और अवैध कमाई के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी कार्रवाई को और तेज कर दिया है। इसी कड़ी में, बुधवार को ईडी की टीमों ने राज्य के बड़े ठेकेदार रिशु श्री के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में देश के चार शहरों पटना, अहमदाबाद, सूरत, गुरुग्राम और नई दिल्ली में कुल 9 ठिकानों पर बड़ी छापेमारी की। इस कार्रवाई के दौरान ईडी ने करीब 33 लाख रुपये नकद, बड़ी संख्या में डिजिटल डिवाइस, डायरियां और महत्वपूर्ण आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए हैं, जिनसे करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार और अवैध लेन-देन के पुख्ता प्रमाण मिलने की संभावना है।
SVU की FIR बनी जांच का आधार, PMLA के तहत कार्रवाई
ईडी की यह जांच स्पेशल विजिलेंस यूनिट (SVU), बिहार द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर शुरू हुई थी। SVU की एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि पटना के ठेकेदार रिशु श्री और उनकी कई फर्मों ने बिहार सरकार के कई विभागों से ठेके और सब-कांट्रैक्ट लेकर भारी भ्रष्टाचार किया है।
आरोपों के अनुसार, रिशु श्री ने जल संसाधन, स्वास्थ्य, भवन निर्माण, ग्रामीण कार्य विभाग, PHED, शहरी विकास और शिक्षा विभाग से जुड़े कई निर्माण और सप्लाई कार्यों में अनियमितताओं के जरिए करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की। जांच एजेंसी का दावा है कि रिशु श्री ने सरकारी विभागों के कई अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर अवैध लाभ कमाया और ठेकों की राशि को गलत तरीके से अपनी कंपनियों और रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर किया। मनी लॉन्ड्रिंग को अंजाम देने के लिए फर्जी कंपनियों और शेल फर्मों का भी उपयोग किया गया।
रेड में मिले ‘गुप्त साक्ष्य’: 33 लाख कैश और कमीशन की डायरी
ईडी की टीमों को छापेमारी के दौरान ₹33 लाख नकद के अलावा, कई मोबाइल फोन, लैपटॉप, हार्ड डिस्क, पेन ड्राइव समेत बड़ी संख्या में डिजिटल साक्ष्य बरामद हुए हैं। इन डिजिटल सबूतों से मनमानी और अवैध लेन-देन के और भी प्रमाण मिलने की उम्मीद है।
बरामद हुई डायरी और दस्तावेजों में कथित रूप से अधिकारियों को दिए गए कमीशन, ठेके के फर्जी बिल और कई संदिग्ध भुगतानों का विस्तृत विवरण मिला है। ईडी के अधिकारियों का कहना है कि इन दस्तावेजों के विश्लेषण के बाद इस भ्रष्टाचार के नेटवर्क में शामिल और भी लोगों के नाम सामने आ सकते हैं।
IAS संजीव हंस से जुड़े मामले में आया था नाम
ठेकेदार रिशु श्री का नाम पहली बार तब चर्चा में आया था जब ईडी ने IAS अधिकारी संजीव हंस के खिलाफ जांच शुरू की थी। संजीव हंस पर आरोप था कि उन्होंने कई ठेकेदारों से करोड़ों रुपये की अवैध कमाई कराई और उन्हें सरकारी विभागों से ठेके दिलवाए। इसी जांच के दौरान रिशु श्री का नाम ईडी की नजर में आया था।
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब रिशु श्री पर कार्रवाई हुई है। इससे पहले इस मामले में ईडी ने ₹11.64 करोड़ नकद बरामद किए थे और 1 अगस्त 2025 को रिशु श्री, उनके परिजनों और संबंधित कंपनियों की ₹68.09 करोड़ की संपत्तियां अस्थायी रूप से अटैच की गई थीं।
ईडी ने साफ किया है कि यह मामला बड़े स्तर पर फैले भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है, जहां ठेकों की रकम की हेराफेरी के लिए फर्जी इनवॉइस, ओवर-बिलिंग और शेल कंपनियों का उपयोग किया गया। जांच अभी जारी है और सरकारी अधिकारियों समेत कई अन्य सहयोगियों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक रही है
