
बिहार के मधुबनी जिले की खजौली विधानसभा सीट से विधायक अरुण शंकर प्रसाद ने आखिरकार अपनी लंबी राजनीतिक यात्रा का फल प्राप्त कर लिया है। नीतीश कुमार की नई कैबिनेट में उन्हें पहली बार मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है, जिससे उनके समर्थकों और मधुबनी की राजनीति में खुशी की लहर दौड़ गई है।
तीसरी बार के विधायक, पहली बार के मंत्री
64 वर्षीय अरुण शंकर प्रसाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता हैं। वह तीसरी बार विधायक बने हैं और 2025 के चुनाव में लगातार दूसरी बार जीत हासिल कर सदन पहुँचे हैं। इस बार उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के ब्रज किशोर यादव को 13,126 वोटों के बड़े अंतर से हराकर अपनी सीट बरकरार रखी।
अरुण शंकर प्रसाद का जन्म 31 दिसंबर 1960 को मधुबनी के बासोपट्टी प्रखंड मुख्यालय में हुआ था। वह वैश्य समुदाय से आते हैं और ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई पूरी की है।
हार से जीत तक का लंबा सफर
अरुण शंकर प्रसाद की राजनीतिक यात्रा संघर्षों से भरी रही है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत हरलाखी विधानसभा क्षेत्र से की थी, जहाँ उन्होंने 1990, 1995, 2000, फरवरी 2005 और अक्टूबर 2005 के चुनावों में लगातार प्रयास किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
आखिरकार, 2010 में उन्हें भाजपा के टिकट पर खजौली विधानसभा से लड़ने का मौका मिला और उन्होंने पहली बार जीत हासिल कर सदन में प्रवेश किया। हालांकि, 2015 में उन्हें राजद के सीताराम यादव से हार का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने वापसी की और 2020 के चुनाव में सीताराम यादव को बड़े अंतर से हराकर अपनी सीट वापस ली। वह भाजपा के मधुबनी जिला अध्यक्ष भी रह चुके हैं, जिससे संगठन में उनकी मजबूत पकड़ साबित होती है।
पारिवारिक जीवन
अरुण शंकर प्रसाद एक सुशिक्षित परिवार से आते हैं। उनकी पत्नी सुनैना देवी एक शिक्षिका हैं। उनके पाँच बच्चे हैं दो पुत्र और तीन पुत्री। बड़ी पुत्री विवाहित हैं, जबकि बड़ा बेटा डॉ. अजीत कुमार मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर हैं और छोटा बेटा इंजीनियर है। चुनाव के दौरान दिए गए शपथपत्र के अनुसार, अरुण शंकर प्रसाद और उनकी पत्नी के पास कुल 1.47 करोड़ रुपये की संपत्ति है।
इतने लंबे समय तक राजनीति में सक्रिय रहने और संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बाद, अरुण शंकर प्रसाद को मंत्री पद मिलना उनकी मेहनत और पार्टी के प्रति निष्ठा का सम्मान है।
