
बिहार में एक बार फिर हर्ष फायरिंग की घटना ने खुशियों के माहौल को मातम में बदल दिया। खगड़िया जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र अंतर्गत कुतुबपुर गांव में शादी की रस्मों के बीच चली गोली ने दूल्हे मोहम्मद इरशाद की जान ले ली। जिस मंच पर दूल्हा-दुल्हन जीवन भर साथ रहने की कसमें खाने वाले थे, वहीं एक क्षणिक लापरवाही ने पूरे आयोजन को चीख़-पुकार में बदल दिया।
यह हृदय विदारक घटना तब घटी जब कुतुबपुर निवासी मोहम्मद इरशाद (पिता मो. इबरान) का निकाह रुखसार खातून (पिता अमजद आलम) के साथ होने जा रहा था। रस्में जारी थीं, निकाह की तैयारियां पूरी हो चुकी थीं और दोनों मंच पर बैठे थे। इसी बीच बारात में शामिल गांव के ही एक युवक ‘पल्लू’ ने खुशी जाहिर करने के लिए हथियार निकाला।
मृतक के बड़े भाई मोहम्मद शमशाद के अनुसार, बारात में डब्बा वितरण हो चुका था और इमाम साहब निकाह करा रहे थे। तभी युवक पल्लू आया और उसने पहले हवा में एक गोली चलाई। वहां मौजूद लोगों ने उसे रोकने की कोशिश भी की, लेकिन उसने किसी की बात नहीं मानी। लापरवाही की हद तब हुई जब उसने दोबारा हथियार लोड किया और इस बार दुर्घटनावश ट्रिगर दब गया। गोली सीधे दूल्हे इरशाद के गले में जा धंसी।
गोली लगते ही शादी के पंडाल में अफरा-तफरी और चीख-पुकार मच गई। लहूलुहान दूल्हे इरशाद को तत्काल शहर के बलुआही स्थित नेक्टर अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें बेगूसराय रेफर कर दिया, और बेगूसराय से भी बेहतर इलाज के लिए पटना भेजने की सलाह दी गई। हालांकि, नियति को कुछ और ही मंजूर था। इरशाद ने पटना पहुंचने से पहले ही रास्ते में दम तोड़ दिया। इस घटना से वह घर उजड़ गया, जिसमें खुशियां बसने वाली थीं।
पुलिस और सरकार की तमाम सख्ती के बावजूद इस तरह की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। लोगों में इस बात को लेकर भारी आक्रोश है कि आखिर कब तक हर्ष फायरिंग के नाम पर होने वाली लापरवाही मासूम जिंदगियों को लीलती रहेगी।
दोनों परिवारों, खास तौर पर दुल्हन रुखसार खातून के परिवार में गहरा मातम पसरा हुआ है। शादी की शहनाई, शोक की लहर में बदल गई है। यह घटना समाज और प्रशासन के लिए एक बड़ा सवाल छोड़ गई है कि दिखावे की खुशी के लिए हथियारों का इस्तेमाल कब बंद होगा?