
बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस ने बड़े संगठनात्मक बदलावों पर विचार तो किया, लेकिन तत्काल नेतृत्व परिवर्तन से फिलहाल दूरी बना ली है। पार्टी की समीक्षा बैठक के बाद यह तय हुआ है कि प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी अपने पद पर कायम रहेंगे, जबकि संगठन को मज़बूत करने के लिए शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म गोल पर काम शुरू किया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस बिहार में संगठन को नए ढांचे और नई ऊर्जा के साथ खड़ा करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। इसी बीच में विधायक दल का नया नेता एक युवा चेहरे को बनाने की तैयारी है। ऐसा चेहरा, जिसने इस बार पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा में कदम रखा है। पार्टी रणनीतिक रूप से हारे हुए उम्मीदवारों में भी युवा और नए “फ्रेश ब्लड” को एक समूह के रूप में जिम्मेदारियां सौंपने की योजना बना रही है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान समय-समय पर इन नेताओं से संवाद स्थापित करेगा, ताकि संगठनात्मक सुधारों पर निरंतर निगरानी और मार्गदर्शन बना रहे। संगठन को जमीनी स्तर तक मजबूत करने के लिए कांग्रेस बहुत जल्द बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी की नई घोषणा करने जा रही है। जिला, ब्लॉक और बूथ स्तर तक पार्टी ढांचे को मजबूत बनाना प्राथमिकता में है, और इसके लिए समयबद्ध रणनीति तैयार की जा रही है। कई नेताओं और उम्मीदवारों की राय है कि अब कांग्रेस को बिहार में “एकला चलो” की नीति अपनानी चाहिए, हालांकि इस पर अंतिम फैसला कांग्रेस नेतृत्व समय आने पर लेगा। पिछले चुनाव में कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन करने वाली AIMIM ने सीमांचल में पांच सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस 61 सीटों पर लड़कर केवल छह सीटों पर ही जीत सकी थी। सीमांचल में AIMIM के बढ़ते प्रभाव और उसके सांप्रदायिक एजेंडे को चुनौती देने के लिए कांग्रेस अपने सभी अल्पसंख्यक नेताओं को एकजुट होकर उस क्षेत्र के दौरे पर भेजने की तैयारी कर रही है। पार्टी का मानना है कि यह कदम न सिर्फ राजनीतिक चुनौती का जवाब होगा, बल्कि संगठन को उस इलाके में दोबारा सक्रिय करने का माध्यम भी बनेगा।
हालांकि, बैठक में हुई इस तीखी नोकझोंक ने कांग्रेस नेतृत्व को भी चौंका दिया। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने साफ कर दिया कि पार्टी किसी भी स्तर पर अनुशासनहीनता को स्वीकार नहीं करेगी। दोनों वरिष्ठ नेताओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि संगठन का माहौल बिगाड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। कांग्रेस की बिहार इकाई एक ओर जहां चुनावी हार के कारणों की समीक्षा कर रही है, वहीं दूसरी ओर ऐसे विवादों ने पार्टी में बढ़ती अंदरूनी कलह को उजागर कर दिया है। नेतृत्व अब नुकसान की भरपाई और संगठन में अनुशासन बनाए रखने के लिए अगले कदमों पर जल्द ही फैसला ले सकता है।
