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बिहार के विधायकों की सैलरी और सुविधाएं: एक विधायक को मिलती है ₹1.5 लाख तक सैलरी, जानें कौनकौन सी हैं खास सुविधाएं

बिहार, सैलरी

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बिहार में विधानसभा चुनावों के परिणाम के बाद अब राज्य में नई सरकार बनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। नीतीश कुमार गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे और साथ ही नए विधायक भी पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे। ऐसे में राज्य के विधायकों की सैलरी और सुविधाओं को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। आइए जानते हैं कि बिहार के विधायक को कितनी सैलरी मिलती है और उन्हें क्याक्या सुविधाएं प्राप्त होती हैं।

बिहार के विधायक की सैलरी हर महीने लगभग ₹1.4 लाख से ₹1.5 लाख तक होती है, जिसमें विभिन्न भत्ते और अतिरिक्त लाभ शामिल होते हैं। यह रकम उनके बेसिक वेतन और विभिन्न भत्तों का योग है। अब हम इसे विस्तार से समझते हैं:

सैलरी का पूरा विवरण

  1. बेसिक सैलरी: ₹50,000 प्रति माह
  2. क्षेत्र (कांस्टीट्यूएंसी) भत्ता: ₹55,000 प्रति माह
  3. पीए (Personal Assistant) भत्ता: ₹40,000 प्रति माह
  4. स्टेशनरी भत्ता: ₹15,000 प्रति माह
  5. डेली अलाउंस: विधानसभा या कमेटी बैठक के दौरान ₹3,000 प्रति दिन विधायकों को मिलने वाली सुविधाएं

सैलरी के अलावा बिहार के विधायकों को कई अन्य सुविधाएं भी मिलती हैं, जो उनके कुल पैकेज को और बढ़ा देती हैं। इनमें शामिल हैं:

• रेल/फ्लाइट यात्रा के लिए ₹4 लाख तक का सालाना फ्री कूपन
• परिवार के लिए यात्रा की सुविधा
• ₹25 लाख तक का गाड़ी के लिए लोन (कम ब्याज पर)
• पटना में सरकारी आवास
• सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में मुफ्त इलाज
• बिजली, पानी और फोन बिल पर बड़ी छूट
• ऑफिस चलाने के लिए स्टाफ, स्टेशनरी, फोन बिल की भरपाई
• रिटायरमेंट के बाद ₹45,000 मासिक पेंशन

अन्य राज्यों से तुलना

वर्तमान समय में बिहार के विधायकों की सैलरी, अन्य राज्यों की तुलना में मध्यम श्रेणी में आती है। उदाहरण के तौर पर तेलंगाना और महाराष्ट्र में विधायकों को हर महीने ₹2.5 लाख तक मिलते हैं। वहीं, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में सैलरी ₹2 लाख तक होती है। इसके विपरीत, त्रिपुरा और केरल में सबसे कम सैलरी मिलती है।

कुल मिलाकर, बिहार में विधायकों की सैलरी औसत से ज्यादा है, खासकर जब इसमें दी जाने वाली सुविधाओं को जोड़ लिया जाए। वहीं, यह भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है कि विधायकों को मिलने वाली सैलरी और सुविधाएं जनता के लिए मिलने वाली सुविधाओं से कहीं ज्यादा तो नहीं हैं? इस पर राजनीतिक चर्चाएं भी तेज हो गई हैं।

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