
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान कैमूर जिले के मोहनिया विधानसभा क्षेत्र में एक दिलचस्प और अप्रत्याशित त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। इस सीट की राजनीतिक स्थिति हमेशा ही बदलती रही है, और यहां हर चुनाव में विधायक बदलते रहे हैं। 2020 के चुनाव में, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के टिकट पर संगीता पासवान ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। इस बार भी यह सीट सियासी समीकरणों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण बनी हुई है।
मोहनिया की सियासत: हर चुनाव में बदलते हैं समीकरण
मोहनिया विधानसभा क्षेत्र में हर चुनाव में सियासी समीकरण और जातीय समीकरण सत्ता की दिशा तय करते हैं। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है और इस क्षेत्र में कांग्रेस, जनता दल, बसपा, राजद, और भा.ज.पा. सभी प्रमुख दलों ने अपनी ताकत आजमाई है। मोहनिया की राजनीति का जनादेश हमेशा सत्ता परिवर्तन का संकेत देता रहा है, कभी कांग्रेस को तो कभी जनता दल, राजद और भाजपा को जनता ने अपना विश्वास दिया है।
इस बार त्रिकोणीय मुकाबला
इस बार मोहनिया विधानसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। भा.ज.पा. की प्रत्याशी संगीता कुमारी को स्थानीय स्तर पर कुछ नाराजगी का सामना करना पड़ा है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोटों के ध्रुवीकरण ने हालात बदल दिए हैं। भाजपा का कोर वोट बैंक और महिला मतदाता उनके साथ मजबूती से खड़े रहे हैं। वहीं, जन सुराज पार्टी की प्रत्याशी गीता देवी मुकाबले को और रोचक बना रही हैं, जिनके पास विभिन्न वर्गों का समर्थन है। वे सभी दलों के कोर वोटों को भी अपनी ओर खींचने में कामयाब हो रही हैं।
राजद समर्थित उम्मीदवार रविशंकर पासवान का साइलेंट फैक्टर
वहीं, राजद समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार रविशंकर पासवान ने भी अपनी जातीय एकता और पिता छेदी पासवान के आशीर्वाद के साथ अपना खेल मजबूत किया है। उन्होंने पारंपरिक पासवान वोटों के साथसाथ राजद के कोर वोट बैंक को भी साध लिया है। उनका नाम इस बार के चुनावी मुकाबले में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
बसपा का परंपरागत समर्थन
बसपा के पारंपरिक दलित वोटर इस बार भी अपने प्रत्याशी ओमप्रकाश नारायण के साथ खड़े दिख रहे हैं, हालांकि पार्टी के अंदर कुछ बिखराव भी देखने को मिला है। लेकिन फिर भी बसपा के वोटर बड़ी संख्या में पार्टी के साथ बने हुए हैं, जिससे अन्य प्रत्याशियों के समीकरणों पर असर पड़ा है।
14 नवंबर को होगा फैसला
कुल मिलाकर, मोहनिया विधानसभा सीट पर इस बार का चुनाव दलगत समीकरण और जातीय संतुलन के बीच फंसा हुआ है। भा.ज.पा. की संगीता कुमारी मोदी फैक्टर और संगठन की ताकत पर आगे दिख रही हैं, जबकि रविशंकर पासवान जातीय एकता और राजद कोर वोट बैंक के साथ डटे हुए हैं। वहीं, गीता देवी व्यक्तिगत लगाव और विभिन्न दलों में सेंध लगाने की वजह से निर्णायक ताकत बनकर उभरी हैं।
विधानसभा क्षेत्र के स्ट्रॉंग रूम में जिले की चारों विधानसभा क्षेत्रों की ईवीएम मशीनें कड़ी सुरक्षा के बीच रखी गई हैं। 14 नवंबर को इन चारों सीटों की मतगणना होगी, जहां मोहनिया के 12 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा। इस दिन सियासी हलचल और भी तेज हो सकती है।