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बिहार चुनाव 2025: NDA का ‘डबल इंजन’ हिट, BJP बनी सबसे बड़ी पार्टी, फिर भी ‘नीतीश फैक्टर’ भारी!

बिहार,डबल इंजन’ हिट

गोपालपुर कागोपालपुर का महासंग्राम: क्या टूटेगा जदयू का किला? निर्दलीय गोपाल मंडल ने NDA और महागठबंधन की बढ़ाई धड़कनें! महासंग्राम: क्या टूटेगा जदयू का किला? निर्दलीय गोपाल मंडल ने NDA और महागठबंधन की बढ़ाई धड़कनें!

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के शुरुआती रुझानों ने एनडीए गठबंधन को स्पष्ट बहुमत की ओर अग्रसर कर दिया है, लेकिन गठबंधन के भीतर सीटों की अदला-बदली ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। इन रुझानों में सबसे बड़ी खबर यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) गठबंधन में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है, जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) दूसरे स्थान पर है।

ताजा रुझानों के मुताबिक, बीजेपी 91 सीटों पर बढ़त के साथ शीर्ष पर है। वहीं, जदयू 78 सीटों पर आगे है। हालांकि, दिलचस्प विरोधाभास यह है कि खबर में यह भी उल्लेख है कि इस जीत की पटकथा के नायक नीतीश कुमार बन गए हैं, जिनकी पार्टी जदयू 83 सीटों पर बढ़त के साथ पहले पायदान पर है। (नोट: रिपोर्ट के पहले पैरा में जदयू 83 सीट पर पहले नंबर पर और नीचे के पैरा में बीजेपी 91 पर पहले नंबर पर होने का विरोधाभास है। इस खबर को बीजेपी के 91 सीटों पर बढ़त को प्रमुखता देते हुए लिखा गया है, लेकिन नीतियों का श्रेय नीतीश कुमार को दिया गया है।)

एनडीए की कुल बढ़त और गठबंधन सहयोगियों का प्रदर्शन
एनडीए गठबंधन के अन्य सहयोगियों का प्रदर्शन भी प्रभावशाली रहा है, जिससे यह स्पष्ट है कि गठबंधन सरकार बनाने जा रहा है

पिछले चुनाव (2020) में तीसरे नंबर पर रही जदयू का 78 सीटों तक पहुँचना भी राजनीतिक पंडितों के लिए आश्चर्यजनक है। वहीं, चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) ने 22 सीटों पर बढ़त हासिल कर खुद को एक महत्वपूर्ण ताकत के रूप में स्थापित किया है। जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने भले ही अपनी पार्टी के लिए कम से कम 80 सीटें जीतने का दावा किया हो, लेकिन फिलहाल बीजेपी की 91 सीटों की बढ़त ने उसे बड़े भाई की भूमिका में ला खड़ा किया है।

नीतीश कुमार की कल्याणकारी योजनाओं का प्रभाव
भले ही बीजेपी सीटों के मामले में आगे निकल गई हो, लेकिन जदयू के प्रदर्शन में सुधार के पीछे नीतीश कुमार की कल्याणकारी योजनाओं और सामाजिक इंजीनियरिंग का गहरा असर माना जा रहा है। तीन मुख्य कारक जिन्होंने जदयू को एक मजबूत आधार प्रदान किया है, वे हैं:

  1. ‘जीविका’ योजना और महिला वोट: जदयू की सफलता में सबसे महत्वपूर्ण योगदान जीविका योजना का रहा है। महिला सशक्तिकरण के लिए चलाई गई इस योजना को ग्रामीण महिलाओं का जबरदस्त समर्थन मिला है। रोजगार शुरू करने के लिए 10-10 हजार रुपये की शुरुआती सहायता और बाद में ₹2 लाख तक का प्रावधान महिलाओं के लिए गेम चेंजर साबित हुआ है। महिला मतदाताओं ने एकजुट होकर नीतीश कुमार के इस ‘साइलेंट वोटर’ के रूप में काम किया है।
  2. पंचायती राज में आरक्षण का प्रभाव: नीतीश कुमार सरकार का दूसरा मास्टरस्ट्रोक पंचायतों और स्थानीय निकायों में महिलाओं और पिछड़ों को 33 प्रतिशत आरक्षण देना रहा। यह ऐतिहासिक कदम सामाजिक न्याय और राजनीतिक प्रतिनिधित्व के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया, जिसने पिछड़ी जातियों और महिलाओं के बीच जदयू की पैठ को मजबूत किया।
  3. ‘डबल इंजन’ का विकास एजेंडा: तीसरा बड़ा फैक्टर केंद्र की बीजेपी सरकार का बिहार को मिला निरंतर आर्थिक और योजनागत समर्थन रहा है। केंद्र सरकार द्वारा बजट में 11,000 करोड़ रुपये का विशेष प्रावधान, नए एक्सप्रेस-वे का निर्माण और केंद्रीय योजनाओं में मिली मदद ने ‘डबल इंजन’ की सरकार के विकास एजेंडे को विश्वसनीयता प्रदान की। इस आर्थिक समर्थन ने राज्य के विकास की गति को तेज करने का संदेश दिया।

यह चुनाव परिणाम स्पष्ट करता है कि बिहार में एनडीए का गठबंधन मजबूत है, लेकिन साथ ही यह भी दिखाता है कि नीतीश कुमार अपनी कल्याणकारी नीतियों के दम पर आज भी बिहार की राजनीति में एक निर्णायक शक्ति बने हुए हैं।

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