टॉप न्यूज़बिहार

भाजपा का नया दांव! पहली बार दोनों डिप्टी CM मैदान में, क्या है पार्टी का ‘मिशन CM’?…

बिहार,भाजपा

भाजपा का नया दांव! पहली बार दोनों डिप्टी CM मैदान में, क्या है पार्टी का 'मिशन CM'?…

बिहार में भाजपा ने इस बार चुनावी रणभूमि में बड़ा दांव खेला है। पार्टी ने पहली बार अपने दोनों उपमुख्यमंत्रियों सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारा है। सम्राट चौधरी तारापुर से तो विजय कुमार सिन्हा लखीसराय से किस्मत आजमा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि भाजपा के इतिहास में यह पहला मौका है जब कोई बैठा हुआ डिप्टी सीएम विधानसभा चुनाव लड़ रहा है। इससे पहले सुशील मोदी ने उपमुख्यमंत्री रहते कभी चुनावी मैदान में कदम नहीं रखा था।

बिहार की राजनीति में सम्राट चौधरी का कद लगातार बढ़ता जा रहा है। महज छह साल पहले भाजपा में शामिल हुए सम्राट आज पार्टी के सबसे प्रभावशाली नेताओं में शुमार हैं। नीतीश सरकार में उपमुख्यमंत्री का दायित्व संभाल रहे चौधरी अब पहली बार इस पद पर रहते हुए विधानसभा चुनावी मैदान में उतरे हैं। पार्टी ने उन्हें तारापुर से उम्मीदवार बनाया है, जो उनका पारिवारिक और राजनीतिक गढ़ माना जाता है। उनकी राजनीतिक यात्रा किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं रही। उन्होंने अपने पिता शकुनी चौधरी की राजनीतिक विरासत को नई दिशा दी। शुरुआती दिनों में वे रालोसपा और जदयू के साथ सक्रिय रहे, लेकिन 2018 में भाजपा में शामिल होकर उन्होंने अपने करियर को नई ऊंचाई दी। भाजपा में आने के बाद वे तेज़ी से आगे बढ़े। वहीं, पहले उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई और फिर उपमुख्यमंत्री बनाया गया। कुशवाहा समाज से आने वाले चौधरी न केवल जातीय समीकरणों के लिहाज से पार्टी के लिए अहम हैं, बल्कि संगठनात्मक कौशल और आक्रामक राजनीतिक शैली के कारण भी सुर्खियों में रहते हैं। तारापुर से उनके चुनाव मैदान में उतरने को भाजपा का ‘मिशन CM’ का हिस्सा भी माना जा रहा है। दरअसल, इस बार तारापुर सीट पर मुकाबला दिलचस्प है। भाजपा के सम्राट चौधरी का सामना राजद के अरुण कुमार से है। यह सीट न सिर्फ सम्राट के राजनीतिक भविष्य बल्कि बिहार में भाजपा की रणनीति की दिशा भी तय कर सकती है। दोनों दलों ने इस क्षेत्र में पूरी ताकत झोंक दी है। चुनावी माहौल गरम है और सभी की निगाहें इस हाई-प्रोफाइल सीट पर टिकी हैं, जहां से बिहार की सियासत का अगला समीकरण तय हो सकता है।

भाजपा की इस रणनीति को साफ तौर पर एक संतुलित सामाजिक समीकरण के रूप में देखा जा रहा है। एक ओर सम्राट चौधरी गैर-यादव ओबीसी समुदाय, विशेषकर कोयरी-कुशवाहा मतदाताओं के बीच अपनी गहरी पैठ रखते हैं, तो दूसरी ओर विजय सिन्हा सवर्णों, खासकर भूमिहार समाज में मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। पार्टी की कोशिश इन दोनों प्रभावशाली सामाजिक वर्गों को एक मंच पर लाने की है, ताकि बिहार में भाजपा का जनाधार और व्यापक हो सके। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सम्राट चौधरी को भाजपा भविष्य के चेहरे के रूप में तैयार कर रही है, जबकि विजय सिन्हा को सवर्ण वोटबैंक को सशक्त बनाए रखने की जिम्मेदारी दी गई है। दोनों नेताओं की सक्रियता और संगठनात्मक उपस्थिति भाजपा को न सिर्फ चुनावी बढ़त दिला सकती है, बल्कि नीतीश कुमार के प्रभाव वाले वोटरों को भी साधने की दिशा में यह बड़ा कदम साबित हो सकता है। यानी, भाजपा के लिए यह चुनाव केवल सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि सामाजिक समीकरणों की नई पटकथा लिखने का मौका भी है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!