
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की ऐतिहासिक जीत और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) खेमे में मचे विवाद के बीच, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की राजनीतिक गतिविधियां अचानक तेज हो गई हैं। चुनाव में अपनी नवगठित पार्टी, जन शक्ति जनता दल (JJD) की करारी हार के बावजूद, तेज प्रताप लगातार प्रमुख नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं, जिसने राजनीतिक गलियारों में बड़े बदलाव की अटकलें तेज कर दी हैं।
हार की समीक्षा में जुटे तेज प्रताप
चुनाव परिणामों के बाद से ही तेज प्रताप यादव अपनी पार्टी JJD के नेताओं के साथ मैराथन बैठकें कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, वह इन बैठकों में चुनाव में मिली करारी हार के कारणों पर गहन मंथन कर रहे हैं। गौरतलब है कि JJD को इस चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली, और खुद तेज प्रताप यादव महुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर केवल 35,703 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे।
NDA नेता का आधी रात को तेज प्रताप से मिलना!
सबसे बड़ी राजनीतिक हलचल तब मची, जब कल रात एक बड़े NDA नेता उनसे मिलने तेज प्रताप यादव के आवास पर पहुंचे। हालांकि, इस मुलाकात के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई है, लेकिन यह घटना बिहार की राजनीति में कई तरह के कयासों को जन्म दे रही है।
आज भी बैठकों का दौर जारी रहा। जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हम’ (Hindustani Awam Morcha) के नेता दानिश रिजवान भी तेज प्रताप यादव से मिलने पहुंचे। इन मुलाकातों से स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि तेज प्रताप यादव अपने भविष्य के राजनीतिक कदमों को लेकर व्यापक विचार-विमर्श कर रहे हैं और जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।
राजनीतिक गलियारों में कयास
तेज प्रताप यादव की इन ‘सीक्रेट’ मुलाकातों को लालू परिवार और आरजेडी के भीतर चल रहे गहरे विवाद से भी जोड़कर देखा जा रहा है। हाल ही में, लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने अपने भाई तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव और रमीज नेमत पर अपमान और परिवार में फूट डालने का आरोप लगाते हुए राजनीति छोड़ने का ऐलान किया था। ऐसे में, तेज प्रताप की NDA नेताओं से बढ़ती नजदीकी इस बात का संकेत हो सकती है कि वह पार्टी के भीतर चल रहे समीकरणों से नाखुश हैं और एक बड़ा राजनीतिक रुख अख्तियार करने की तैयारी में हैं।
NDA की प्रचंड जीत और JJD की असफलता
इस विधानसभा चुनाव में NDA ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है। कुल 243 सीटों में से गठबंधन ने लगभग 200 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज की। भारतीय जनता पार्टी (BJP) को लगभग 89 सीटें और जनता दल यूनाइटेड (JDU) को 85 सीटों पर जीत मिली है। इस प्रचंड जीत के सामने, तेज प्रताप यादव की नई पार्टी JJD का खाता तक नहीं खुल पाया, जिससे तेज प्रताप पर राजनीतिक दबाव और भी बढ़ गया है।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि तेज प्रताप यादव अब अपनी नई राजनीतिक दिशा तय करने के करीब हैं, और उनकी यह सक्रियता बिहार की सत्ताधारी और विपक्षी दोनों राजनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकती है।