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राजनीतिक दलों के साथ EC की हाई लेवल मीटिंग, क्यों तीन पार्टियों को नहीं मिला आमंत्रण

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राजनीतिक दलों के साथ EC की हाई लेवल मीटिंग, क्यों तीन पार्टियों को नहीं मिला आमंत्रण?

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और चुनाव आयोग की टीम दो दिवसीय बिहार दौरे पर है. इस दौरान आयोग की टीम पार्टियों के साथ बैठक और तैयारियों की अंतिम समीक्षा करेगी. मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त विवेक जोशी और एस.एस. संधू 4 और 5 अक्टूबर को पटना के दो दिवसीय दौरे पर रहेंगे. इस दौरान आयोग की टीम चुनावी तैयारियों की अंतिम समीक्षा करेगी. सूत्रों के अनुसार, अक्टूबर के अंतिम सप्ताह और नवंबर में राज्य में कई चरणों में मतदान कराए जाने की संभावना है.8 अक्टूबर तक तारीखों के ऐलान की संभावना है.

चुनाव आयोग की टीम अपने दौरे में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उनकी चिंताओं और सुझावों को सुनेगी. साथ ही राज्य के शीर्ष पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सुरक्षा और निष्पक्ष मतदान से जुड़ी तैयारियों का जायजा लिया जाएगा. इस दौरान मतदाता सूची, बूथ प्रबंधन, सुरक्षा बलों की तैनाती और आदर्श आचार संहिता के पालन पर भी विस्तृत चर्चा होगी. राज्य की 243 सदस्यीय विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है. ऐसे में माना जा रहा है कि चुनाव आयोग की उच्चस्तरीय टीम के पटना से लौटते ही चुनाव कार्यक्रम का औपचारिक ऐलान हो सकता है. आज शनिवार को पटना के होटल ताज में इलेक्शन कमीशन राजनीतिक दलों के साथ बैठक करेगा.

इलेक्शन कमीशन ने सभी पार्टियों को बैठक के लिए नहीं बुलाया है. इस बैठक में शामिल होने के लिए बीजेपी, जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस समेत प्रमुख दलों को आमंत्रित किया गया है. मगर मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP), उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) और जीतनराम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) को निमंत्रण नहीं भेजा गया है.

हाल ही में बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पूरा किया गया है. 30 सितंबर को प्रकाशित अंतिम सूची में लगभग 7.42 करोड़ मतदाता शामिल हैं. यह प्रक्रिया लगभग दो दशकों बाद की गई है. विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाए हैं और आरोप लगाया है कि करोड़ों नागरिकों के नाम सूची से गायब हैं, जिससे उन्हें मतदान का अधिकार नहीं मिल पाएगा. हालांकि, चुनाव आयोग ने इन दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि लक्ष्य है कि कोई भी पात्र मतदाता छूटे नहीं और अपात्र व्यक्ति शामिल न हो.

बिहार जैसे बड़े और राजनीतिक रूप से संवेदनशील राज्य में चुनाव आयोग सुरक्षा इंतजामों पर खास जोर दे रहा है. विभिन्न जिलों में सामान्य, पुलिस और व्यय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जा चुकी है, जिन्हें पहले ही ब्रीफिंग दी जा चुकी है. आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि चुनाव प्रक्रिया पर किसी तरह का संदेह न रहे और मतदाताओं को निष्पक्ष वातावरण मिले.

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